Kewai Mata Kinsariya Parbatsar Temple History in Hindi : नागौर जिले के मकराना और परबतसर के बीच त्रिकोण पर परबतसर से 6-7 की. मी. उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वतमाला से परिवेष्टित किणसरिया गाँव है, जहाँ एक विशाल पर्वत श्रंखला की सबसे ऊँची चोटी पर कैवायमाता का बहुत प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिर अवस्थित है । नैणसी के अनुसार किणसरिया का पुराना नाम सिणहाड़िया था । कैवायमाता का यह मन्दिर लगभग 1000 फीट उँची विशाल पहाड़ी पर स्थित है । मन्दिर तक पहुँचने के लिए पत्थर का सर्पिलाकार पक्का मार्ग बना है, जिसमे 1121 सीढियाँ है ।
कैवायमाता के मन्दिर के सभामण्डप की बाहरी दीवार पर विक्रम संवत 1056 (999 ई.) का एक शिलालेख उत्कीर्ण है । उक्त शिलालेख से पता चलता है कि दधीचिक वंश के शाशक चच्चदेव ने जो की साँभर के चौहान राजा दुर्लभराज (सिंहराज का पुत्र) का सामन्त था विक्रम संवत 1056 की वैशाख सुदि 3, अक्षय तृतीया रविवार अर्थात 21 अप्रैल, 999 ई. के दिन भवानी (अम्बिका ) का यह भव्य मन्दिर बनवाया ।
शिलालेख में शाकम्भरी (साँभर) के चौहान शासकों वाकपतिराज, सिंहराज और दुर्लभराज की वीरता, शौर्य और पराक्रम की प्रसंशा की गई है । उनके अधीनस्थ दधीचिक (दहिया) वंश के सामन्त शासकों की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए इस वंश (दधीचिक या दहिया) की उत्पत्ति के विषय में लिखा है – देवताओं के द्वारा प्रहरण (शस्त्र) की प्रार्थना किये जाने पर जिस दधीचि ऋषि ने अपनी हड्डियाँ दे दी थी, उसके वंशज दधीचिक कहलाये ।इस दधीचिक वंश में पराक्रमी मेघनाथ हुआ, जिसने युद्ध क्षेत्र में बड़ी वीरता दिखाई । उसकी स्त्री मासटा से बहुत दानी और वैरिसिंह का जन्म हुआ तथा उसकी धर्मपरायणा पत्नी दुन्दा से चच्च उत्पन्न हुआ । इस चच्चदेव ने संसार की असारता का अनुभव कर कैलाश पर्वत के समान शिखराकृति वाले देवी भवानी के सौध (मंदिर) का निर्माण करवाया ।
इसके बाद शिलालेख में यह मंगलकामना की गई है जब तक शिव के सिर पर चन्द्रखण्ड विराजमान है, जब तक नभ स्थल में सूर्यदेव विचरण करते हैं, जब तक चतुर्मुख ब्रह्मा के चारों मुखों से वेदवाणी गुंजित होती है जब तक यहाँ देवी अम्बिका का यह देवगृह दीप्तिमान (प्रकाशमान) रहे ।
सभागृह के प्रवेश द्वार के बाहर दो भैरव मूर्तियाँ है जो काला – गोरा के नाम से प्रसिद्ध है । देवी मंदिर वाली विशाल पर्वतमाला के चारों ओर जंगल फैला है, जिसे माताजी का ओरण कहते हैं । कैवायमाता मन्दिर के प्रांगण में 10 और शिलालेख विद्धमान हैं । इनमें आठ शिलालेख तो कैवायमाता मन्दिर में पीछे की तरफ दीवार के पास एक साथ पंक्तिबद्ध रूप में स्थापित है तथा अन्य दो सभागृह की पिछली दीवार में लगे हैं ।
इनमें सबसे प्राचीन शिलालेख पर विक्रम संवत 1300 की जेठ सुदी 13 (1 जून, 1243 ई.) सोमवार की तिथि उत्कीर्ण हैं । लेख के अनुसार उक्त दिन राणा कीर्तसी (कीर्तिसिह) का पुत्र राणा विक्रम अपनी रानी नाइलदेवी सहित स्वर्ग सिधारा । उनके पुत्र जगधर ने अपने माता – पिता के निमित यह स्मारक बनवाया । मन्दिर परिसर में विद्धमान अन्य प्रमुख स्मारक शिलालेख विक्रम संवत 1350, 1354, तथा 1710 के हैं ।
नवरात्र, विवाह तथा अन्य शुभ अवसरों पर निकटवर्ती अंचल के लोग जात – जडुले और मनोतियाँ मनाने व देवी से इच्छित फल की कामना लिए वहाँ आते हैं ।
Very nice info…..
Jai Kewai Mata ki… Jai ho Kinsariya ki Maiya
Which kuldevi should prajapti samaj should workship frm ravariya cast
Manoj Kumar sen Dhaneriya Leel Merta City Nagour
No. 9783877411, 8824671662
Cast -sen (Naii) सेन (नाई)
Gotr -ful bhati (फ़ुलभाटी)
मेरी कुलदेेवी कोन सी मााता जी है …….
मन्दिर काहा पर ःहै
Balai samaj kuldevi ?????
Gotta … Morwadiya
Kisi ko pta ho to jarur batana
Dear Sanjay Sharma
Very great work you do this. jai kwai mata ki jao ho kinsariya kwai mata ki.
I am gujargod braman shankhi i want arti of kinsariya mata ki if you provid me .
Thanks you very much Mr. Sanjay Sharma
Great you.
सर मुझे ना केवाय माताजी कि ओरीजनल फोटो ग्रोफी चाहीहे plese sir
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Kya Yeh Jangra Upadhyay ki Kuldevi hai kya?
सर मुझे वत्स गौञ कि कुलदेवी कैवया माता है या नहीं ईस बात कि पुरी जानकारी चाहिए क्या मिल सकती है आपके पास अगर हौ तो मुझै बताने कि क्रपा करे
धन्यवाद
नाम ======मनौज गौतम
पता ======कवाई सालपुरा( त) अटरू जिला बारा राजस्थान पोस्ट कवाई पिन 325219
फोन 8058789704 7023642777
गुजरगौड़ ब्रह्मण
Kevay mata kansar lohima family ki kooldevi h ya nhi
शर्माजी, जय मातादी, हमारे पूर्वज सन 1735,1750 के समय चित्तौड़गढ़ या आसपास के प्रदेश से महाराष्ट्र में आए थे, अनपढ़ होनेके कारण या संपतीक स्थिति के कारण कुलदेवी को नहीं आ सके, अभी किशनगढ़ से भाट आनेके बाद हमें केवाय माताजी के बारेमें जानकारी प्राप्त हुई, हमारा समाज महाराष्ट्र में करीब 4,5 सौ परिवार में फैला हुआ है, हम ये जानना चाहते हैं कि, क्या केवाय माताजी हमारी कुलदेवी है? हमारा सरनेम चवले, चौहान हैं, हम “राजपूत खटीक जात के हैं, कृपया, अधिक मार्गदर्शन कीजिए.. मेरा मोबाइल नंबर 8446695344, और what’s app no.9011233080 हैं.. धन्यवाद, जय मातादी..
Kaiway mata ki chalisa ki pdf file bhi upload kijiye taki hum log uska labh le sake.
Kandi available hai kya kavai mata dham me
प्रेम चंद बुगालिया ( बलाई) दिल्ली निवासी
हमारी कुलदेवी के बारे में बताने की कृपा करे।
गांव बीदियाद जिला नागौर
दहिया पोसवालों की कुलदेवी भी माँ कैवाय है।