Ashapura Devi Nadol History in Hindi : आशापूरा (Ashapura Mata) शाकम्भरी के चौहान राजवंश की कुलदेवी थी । नैणसी की ख्यात का उल्लेख है कि लाखणसी चौहान को नाडौल का राज्य आशापूरा देवी की कृपा से मिला । तदनन्तर चौहान इसे अपनी कुलदेवी मानने लगे । आशा पूर्ण करने वाली देवी आशापूरा के नाम से विख्यात हुई।
लाखणसी या लक्ष्मण नामक चौहान शासक द्वारा नाडौल में आशापूरा देवी का भव्य मन्दिर बनवाया गया जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं । आशापूरा गाँव की एक पहाड़ी पर देवी आशापूरा का प्राचीन स्थल है जँहा देवी को मीठा भोग लगता हैं । भाद्रपद और चैत्रमास की अष्टमी को विशेेष उत्सव होता है । सैकड़ो वर्षों से आशापूरादेवी की बहुत मान्यता है।
आशापूरा माता शाकम्भरी माता का ही रूप है। शाकम्भरी देवी चौहान राजपूतों की कुलदेवी है। एक शिलालेख के अनुसार विक्रम संवत 1030 में सिंहराज चौहान सांभर का सम्राट बना। सिंहराज के भाई का नाम लक्ष्मण (लाखणसी चौहान) था।
लाखणसी एक दिन सांभर त्याग कर अपनी पत्नी व सेवक के साथ पुष्कर पहुँचा। पुष्कर तीर्थ स्नान कर अरावली पर्वतों को पार करके सप्तशत की ओर प्रस्थान किया। रात्रि में नीलकण्ठ महादेव के मन्दिर में आश्रय लिया। प्रातः पुजारी ने परिचय पूछा तो लाखणसी ने कहा, “महात्मन मैं सांभर नरेश सिंहराज का अनुज लक्ष्मण हूँ। मैं अपने बाहुबल से कुछ बनना चाहता हूँ।” पुजारी के कहने पर वहाँ के राजा ने लक्ष्मण को नगर अध्यक्ष बना दिया।
लाखणसी का पराक्रम और माँ की कृपा
एक दिन मेदों ने सप्तशत पर आक्रमण कर दिया। भीषण युद्ध हुआ। लक्ष्मण ने अपनी तलवार का जौहर दिखाया। अकेले लक्ष्मण ने सैकडों मेदों को मार डाला। उसकी वीरता से प्रसन्न होकर राजा ने आशीर्वाद दिया कि “माँ तुम्हारी सम्पूर्ण आशा पूर्ण करे, तुम्हारी कीर्ति दिग्दिगन्त तक फैले।” अंत में मेद थक कर भाग गए। लेकिन लक्ष्मण भी गंभीर रूप से आहत हुआ।
माता ने रात में स्वप्न में लक्ष्मण को दर्शन दिये और आशीर्वाद दिया “पुत्र निराश मत हो, प्रातः समय मालव प्रदेश से असंख्य घोड़े इधर आएंगे, तुम उन पर केसर मिश्रित जल छिटक देना जिससे उनका प्राकृतिक रंग बदल जायेगा और तुम उनकी एक अजय सेना तैयार कर लेना।” माँ की असीम कृपा से लक्ष्मण नाडोल का शासक हुआ। डॉ. दशरथ शर्मा के अनुसार इन घोड़ों की संख्या 12000 थी और मुथा नेणसी ने यह संख्या 18000 बतायी।
अवश्य देखें – आशापूरा माता की श्लोकमय कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य
कुलदेवी ने लक्ष्मण की आशाओं की पूर्ति की, अतः यही शाकम्भरी देवी नाडौल की आशापूरा माता के नाम से विख्यात हुई। आशापूरा माता के मन्दिर में मन्दिर में चैत्र और आश्विन के नवरात्रि के अतिरिक्त माघ शुक्ल द्वितीया को भी पर्व मनाया जाता है। इस मन्दिर का निर्माण लाखणसी चौहान ने किया, इसलिये इस दिन देवी महोत्सव और लाखणसी चौहान का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
नाडौल रानी स्टेशन से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ यात्रियों के ठहरने और भोजन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। माताजी के मन्दिर के सामने महाराव लाखणसी की प्रतिमा स्थापित है व बांयी ओर महाराव लाखणसी द्वारा निर्मित बावड़ी विद्यमान है। जिसके द्वार पर गंगा मैया की प्रतिमा स्थापित है। मन्दिर का प्रांगण विशाल व रमणीय है।
भड़ोच (Bharuch) का आशापूरा माता मन्दिर
विग्रहराज द्वितीय ने अपने सैन्य अभियान के समय भड़ोच में आशापूरा का मन्दिर बनवाया था । सोमेश्वर और पृथ्वीराज तृतीय के सिक्कों पर “आशावरी” शब्द उत्कीर्ण मिलता हैं ।
मोदरा (जालोर) की महोदरी माता
जालौर से 40 की. मी. दूर मोदरा गाँव में भी आशापूरामाता का भव्य और प्रसिद्ध मन्दिर है । इस मन्दिर में विक्रम संवत 1532 का एक शिलालेख विध्यमान है जिससे ज्ञात होता है की यह आशापूरा देवी का मन्दिर था वर्तमान में ये देवी महोदरीमाता (बड़े पेट वाली देवी) के नाम से प्रसिद्ध है । जालौर के सोनगरा चौहान की शाखा नाडौल से उठकर ही जालौर आयी थी ।
Ashapura Mata Temple @ Google Map
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Jai Ashapura Mata… Jai Nadol ki Maiya
JI HAAN MAIN KHATER KUL KA HOON TO MAI AASHAPURA MATA KO APNI KULDEVI MANTA HOON OUR MERI MATA PER ATUT SHRADHA BHAKTI HAI.
9468504450,9214670551
01483-224069
Maka aserbad
jai ma ashapura ma ki jai
Urgently looking for confirmation if stay and food option is available at temple? Please share contact number and details
ashapura mata sabki manokamnayen puri kare
Jis murti ko aapne rav lakhan ki bataya hai wh lakhan ki nhi hai
pls esko hta dena
Jankarike liye Aabhar.. use hata diya gaya hai
(जालवार)जाँगिड़ सुथार
jai ashapura mata ji ki sada hi jai ho
मैंने कहीं पढ़ा था कि वासुदेव चौहान के आह्वान पर शाकंभरी माता , आसोपालव के वृक्ष में से प्रकट हुई। कदाचित इसी प्रकटीकरण के कारण, शाकम्भरी मां के अन्य नाम ‘आसावरी’ ‘आसापतां’ ‘आसापलां’ (ये दो नाम हमारी वंशावली में है) क्योंकि चौहान राव लक्ष्मण की आशापूर्ती के पूर्व भी आसावरी जैसा नाम प्रवर्तमान था। सम्भव है आसोपालव के आसावरी से ही आशापुरी नाम आया हो???
Gujrat me aanand ke pas piplav gav me ma aashapuri ka mandir he, kya aap uske bare me bta sakte he.
khandva road per aashapuri Gav may aashapura maa ka mandir h.madhya Pradesh may. uskay baray may bataye.
Very informative website on Kuldevis. Good effort, and well researched information. I am Mimani and I was still unaware of our Kuldevi. Your post informed me about our Kuldevi, and its history. Thanks for keeping alive age old histories of different communities..
Asha pura Devi Mata ki Jai
Aasapura mataji ko chdawa kya chadta h
क्या पांडुका माता ज्येष्ठा माता एक ही है या नही
kisike pass ashapura maa ki aarti hindi me ho to please muje email karo ‘[email protected]’ pe
maa asapura nadol chalisa ho to bhejo
nadal mata mandir me bheruji ka mandir nahi batya hai
Jai Shree Ashapurna Mataji