Bhuwal Mata Temple Merta City :
Bhuwal Mata Darshan Video
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नागौर जिले में मेड़ता से लगभग 20-22 कि.मी. दक्षिण में स्थित भुवाल एक गाँव है । यहाँ पर विक्रम संवत् की 21वीं शताब्दी के लगभग निर्मित महाकाली का एक प्राचीन मन्दिर है । इस मन्दिर के शिलालेख से पता चलता है कि विक्रम संवत् 1380 की माघ बदी एकादशी को इस मन्दिर का निर्माण हुआ था । महाकाली भवालमाता के नाम पर ही इस कस्बे का नाम भवाल पड़ा । लोगो की परम्परा के अनुसार इस देवी को मदिरा का भोग चढ़ाया जाता है । लोकविश्वास के अनुसार यह देवी जिस भक्त पर प्रसन्न होती है उसी का भोग ग्रहण करती है।
असुरों के अत्याचारों से व्यथित होकर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी देवताओं ने माता पार्वती को दो रूप प्रदान किये। एक वात्सल्य की प्रतिमूर्ति अम्बा और दूसरी पाप का नाश करने वाली रुद्राणी। सौभाग्य से देवी के दोनों रूपों का प्रत्यक्ष दर्शन भुवाल ग्राम की ब्रह्माणी देवी / भुवाल माता में है। इस देवी के दो रूप हैं। एक शक्तिरूपिणी कालका और दूसरी वात्सल्यरूपिणी अम्बा। एक ही प्रस्तर में माता के दो रूप हैं – एक रुद्राणी और दूसरा अम्बा का। रुद्राणी प्रतिदिन सोमरस का पान करती है व बलि लेती है और अम्बा को प्रसाद का भोग लगता है। देवी को वात्सल्यरूपिणी ब्रह्माणी के नाम से पुकारा जाता है।
रुद्राणी भुवाल माता (Bhanwal Mata/Bhuwal Mata)
माता इतनी चमत्कारी है कि वह अपने प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूर्ण करती है। इस का प्रत्यक्ष दर्शन किसी भी दिन, किसी भी समय मंदिर में जाकर अनुभव कर सकते हैं। रुद्राणी को शराब चढ़ाने वालों की पंक्ति लगी रहती है।
कोई भी भक्त देवी रुद्राणी से मन्नत मांगते हैं और उनकी मनोकामना की पूर्ति होने पर भक्त मदिरा चढाने आते हैं। देवी प्रत्येक मदिरा की बोतल में से ढाई प्याले मदिरा का प्रत्यक्ष पान करती है। देवी की प्रतिमा के सम्मुख दो नंगी तलवारें सज्जित है।
मां को मदिरा का प्रसाद चढ़ाने के लिए पुजारी चांदी के प्याले में मदिरा लेता है और उनके होठों से लगाता है। इस दौरान वह प्याले की ओर नहीं देखता। नीचे माता की ज्योति जलती रहती है। फिर वह ज्योति पर प्याले को उल्टा कर देता है। अगर माता ने मदिरा का प्रसाद स्वीकार कर लिया है तो उसकी एक बूंद भी नीचे नहीं गिरती। इस प्रकार माता को चांदी के ढाई प्याले मदिरा के चढ़ाए जाते हैं और वे उसे ग्रहण करती हैं।
Bhanwal Mata Mandir Yatra Video:
मन्नत की मूल्य से कम या अधिक की मदिरा स्वीकार नहीं करती माँ
श्रद्धालु कहते हैं कि वे मां से कोई मन्नत मांगते हैं तो वे उसे जरूर पूरा करती हैं। मन्नत के अनुसार जब उन्हें मदिरा चढ़ाई जाती है तो इसका भी एक नियम है। श्रद्धालु ने जितनी प्रसाद चढ़ाने की मन्नत मांगी है, मां को उतने ही मूल्य का प्रसाद चढ़ाना होता है। न कम और न अधिक।
ब्रह्माणी भुवाल माता
ब्रह्माणी सात्विक है। मात्र प्रसाद, श्रीफल आदि का भोग स्वीकार करती है। मंदिर के पास ही एक विशाल अतिथिशाला बनी हुई है जिसमें श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन आदि की व्यवस्था है।
डाकुओं ने करवाया था इस मंदिर का निर्माण
मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि भंवाल मां प्राचीन समय में भंवालगढ़ गांव (जिला नागौर) में एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुईं। मां ने भक्तों को संकेत दिया कि वे दोनों बहनें कालका व ब्रह्माणी के रूप में आई हैं लेकिन उनका मूल स्वरूप एक ही है।
इस मंदिर के बारे में एक अन्य कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार इस मंदिर का निर्माण संवत 1119 में डाकुओं ने करवाया था। ऐसी दंतकथा है कि डाकू माता की शरण में आये और माता ने उनकी रक्षा की। इसलिए डाकुओं ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। इस कथा के अनुसार वि.सं. 1050 के आसपास डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था। मृत्यु को निकट देख उन्होंने देवी मां को याद किया।
मां ने अपने प्रताप से डाकुओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया। इस प्रकार डाकुओं के प्राण बच गए। बाद में डाकुओं ने विचार किया कि मां को प्रसाद चढ़ाना चाहिए लेकिन उनके पास कुछ नहीं था। तभी उनमें से किसी ने कहा कि मां तो प्रेम से भी प्रसन्न हो जाती हैं। इसलिए प्रेम सहित मां को कुछ भी चढ़ाओ, वे स्वीकार कर लेंगी। डाकुओं के पास थोड़ी-सी मदिरा थी। उन्होंने मां के होठों से वह प्याला लगा दिया और वह खाली हो गया। डाकुओं को आश्चर्य हुआ। उन्होंने दूसरा प्याला लगाया और वह भी खाली हो गया। उत्सुकतावश उन्होंने तीसरा प्याला लगाया तो वह आधा ही खाली हुआ। आधा प्याला मां ने भैरों के लिए छोड़ दिया था। इसके बाद डाकुओं ने डकैती करनी बंद कर दी।
श्री भुवाल माता का मंदिर जैतारण-मेड़ता मार्ग पर स्थित है। यात्रियों की सुविधा हेतु यहाँ बैंगाणी बंधुओं द्वारा निर्मित धर्मशाला और भोजनशाला की व्यवस्था है।
Bhuwal / Bhanwal Mata HD Wallpapers>>
नोट:- यदि आप भुवाल ब्रह्माणी माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया Comment Box में अपना समाज व गोत्र लिखे
GARAG BOHARA
Gotra:GARG
Bhawal mata ji
Khandelwal Kachwal Gtra Agsat Gtra
Soni (dasaniya)
Bhamnya suthar
Bhamnya gotra
Gujargour jajara
Jajara gujargour
जय माँ लहण
Mali bhati kul devi bataye
Bhunwal Jat kuldevi Bataye
Bhunwalya tiwari
Bengani Family
Srawak khndelwal kachwal
Khandelwal kachwal …. Agastya rishi
गारग बोहरा (लहण)माता
Oswal fulfhagar
Jati- Mali
Gotra- halsora panwar
Yeh kuldevi kagresa mehta parivar ki h kya?
Oswal terapanthi fulfagar ladnun niwasi assam prawasi
Jai maa
समाज /रविदास
गोत्र / बोरा
गुर्जरगौड़ ब्राह्मण समाज मे जाजड़ा (Jajara)
भवाल माता के बाजू की माताजी (गुंगल माता कहके) हम पूजते है.
गौत्र – गौतम
same here Mayur ji
Pankaj Sharma New Delhi
Jai Bhuwal Mata
Govind Sharma
भुंवाल्या
Gurjar Gaur Brahmin
Jaipur
Kuldevi of dasaniya sunar
अहारी परिवार की कुलदेवी भोहाल माता और भंवाल माता एक है क्या
Sanjay fulfagar, terapanth samaaj, oswal ,