कौन है वाराही माता (Varahi Mata) ?
वाराही माता भारतवर्ष में पूजित अष्टमातृका (Ashtmatrika) में से एक है। अष्टमातृका आठ देवियों का एक समूह है जिसे मावलियान भी कहते हैं। संसार में प्रत्येक वस्तु, पदार्थ, जीव आदि को क्रियाशील होने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ब्रह्माण्ड की धुरी शिव को भी क्रियाशील होने के लिए आदिशक्ति की आवश्यकता है। शिव की ऊर्जा आदिशक्ति है। उसी प्रकार वाराही माता भी भगवान् विष्णु के वाराह अवतार की शक्ति है। वाराह अवतार को क्रियाशील करने वाली ऊर्जा अथवा शक्ति ही वाराही माता है। इन्हें बराही या बिराही (Barahi / Birahi) माता भी कहा जाता है।
वाराही माता को हिन्दू धर्म के तीनों मतों शक्ति मत, शैव मत तथा वैष्णव मत के मानने वालों द्वारा पूजा जाता है। इनकी पूजा मुख्यतः रात्रि में तान्त्रिक क्रियाओं के अनुष्ठान के दौरान की जाती है। बौद्ध धर्म में पूजित मरीचि तथा वज्रवराही का मूल हिन्दू देवी वाराही को माना जाता है।
आम्बेर में स्थित वाराही माता मन्दिर
कछवाहा राजवंश की पूर्व राजधानी आम्बेर (Amber) में नगर प्राचीर के पास वाराही (बिराही) माता (Varahi Mata) का एक प्राचीन मन्दिर है। वाराही माता की लोक में बहुत मान्यता है। मन्दिर के समीप ही स्थित विशाल प्रवेश द्वार वाराही दरवाजा कहलाता है। मन्दिर में एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है।
Varahi Mata ki Jai… Jai ho Amber ki Varahi Mata
Kuldevi of Leua Patidar community in Uttar Gujarat?