Vindhyavasini Mata History in Hindi : सैंगर वंश चन्द्रवंश की प्राचीन शाखा है इसके वंशजों का समय समय पर चेदी प्रदेश (डाहल),राढ (कर्ण-सुवर्ण), दक्षिण प्रदेश (आन्ध्र आदि), सौराष्ट्र अथवा गुजरात, मालवा, डाहर आदि स्थानों पर प्रभुत्व रहा था ।
सैंगर राजा डाहर देव ने डाहल राज्य (पश्चिमी चेदी) स्थापित किया । तब से यह वंश डहरिया या दाहरिया के नाम से प्रसिद्ध हुआ । इस वंश के राजा कर्णदेव ने 12वीं शताब्दी के आस पास यमुना चम्बल के संगम पर कर्णवती (कर्णगढ़ किला) की स्थापना की थी । सैंगरों का राज्य करनार (जिला जालौन) में भी था । यहाँ के विशांकदेव ने अपनी रानी के नाम से देवकली नगर बसाया । इस वंश का मालवा में सिरौज नामक राज्य भी रहा था जिसे औरंगजेब ने नष्ट कर दिया । सैंगरों में अन्य शाखा न होकर जगम्मनरपुर के सैंगर, भरेह के सैंगर आदि नामों से जाने जाते हैं । छपरा जिले में सिताब दियारा (कुछ हिस्सा बलिया में भी) सैंगरों का निवास स्थान है । जहां वे बड़ी संख्या निवास कर रहे है । ये लोग पूर्णिया में भी है । इनकी कुलदेवी विन्ध्यवासिनी है । सिरोज में कुलदेवी विन्ध्यवासिनी का मन्दिर था जिसे औरंगजेब ने तुड़वा दिया था ।
बांसवाड़ा राज्य के इतिहास में वैजवा माता (विन्ध्यवासिनी) के लेख का उल्लेख हुआ है । जिससे ज्ञात होता है कि विन्ध्यवासिनी (सैंगरों की कुलदेवी) का मन्दिर भैंकरोड़ गांव के पास स्थित है मन्दिर से प्राप्त लेख (1234 ई.) के अनुसार वागड़ के वट पद्रक (बड़ोदे) के महाराजाधिराज श्री सिहड़देव के राज्य समय उनका महाप्रधान विहड़ था । उस समय उक्त देवी के भोपा मेल्हण के पुत्र वैजाक ने उस मन्दिर का पुनरुद्धार कराया था ।
यह कलचुरी वंश की भी कुलदेवी रही है । कलचुरी क्षत्रिय चन्द्रवंशी यदु के वंशज हैहय के वंशधर है । इनकी प्रमुख शाखाओं में डाहलिया कलचूरी, कल्याण कलचूरी, चेदि कलचूरी, एवं दक्षिण कौशल के कलचूरी प्रमुख है ।
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Samudrakatoth gotra kon se soni ka hota hai
ये हमारीभी कुलदेवी हें, में महाराष्ट्र से हूं।
हमरा गोत्र भारद्वाज हे।
Kul devi of gangriwal pariwar Bharadwaj brahaman ashtani devi
कौशिक गोत्र- औेदिच्च सहस्त्र ब्राह्मण – सरनेम भट्ट
कुलदेवी विध्यवासिनी सही है? कृपया अवगत कराये।