Durga Mata Broke Proud of the Gods : एक बार देवों और दानवों में युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवता विजयी हुए परंतु इस विजय से उनके मन में अहंकार उत्पन्न हो गया। वे स्वयं को सर्वश्रेष्ठ कहने लगे। जब जगदम्बा आदिशक्ति दुर्गा ने देवताओं को इस प्रकार अहंकार से ग्रस्त होते देखा तो वे प्रचंड तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुई। इतना विराट तेजपुंज देखकर देवता भी घबरा गए।
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तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए इंद्र ने वायुदेव को भेजा। अहंकार में चूर होकर वायुदेव तेजपुंज के समीप पहुंचे और स्वयं को प्राणस्वरूप तथा अतिबलवान देव बताया। तब तेजस्वरूप माता ने वायुदेव के सामने एक तिनका रखा और कहा कि यदि तुम सचमुच इतने श्रेष्ठ हो तो इस तिनके को उड़ाकर दिखाओ। समस्त शक्ति लगाने के बाद भी वायुदेव उस तिनके को हिला नहीं पाए। उन्होंने वापस आकर यह बात इंद्र को बताई।
तब इंद्र ने अग्निदेव को उस तिनके को जलाने के लिए भेजा लेकिन अग्निदेव भी असफल रहे। यह देख इंद्र का अभिमान चूर-चूर हो गया। उन्होंने उस तेजपुंज की उपासना की तब तेजपुंज से माता शक्ति का दिव्य स्वरूप प्रकट हुआ और देवी ने कहा कि मेरी ही कृपा से तुमने असुरों पर विजय प्राप्त की है। इस प्रकार झूठे अभिमान में आकर तुम अपना पुण्य नष्ट मत करो। देवी के वचन सुनकर सभी देवताओं को अपनी गलती का अहसास हुआ और सभी ने मिलकर देवी की उपासना की।
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