Shri Degrai Temple History in Hindi : यह मन्दिर जैसलमेर से पूर्व दिशा में 50 कि.मी. की दूरी पर देगराय जलाशय (देवीकोट-फलसूंड मार्ग) पर बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ पर बुगा सेलावत की भैंसे चरा करती थी। भैंसो के झुण्ड में एक दैत्य छिपकर रहता था। देवी स्वांगियां के आदेश से बहादरिया ने अपनी तलवार से उस भैंसे रूपी दैत्य को काट डाला। अनन्तर देवी स्वांगियां व उनकी सभी बहनों ने उस भैंसे का रक्तपान किया और भैंसे के सिर को देग बनाकर उसमें भैंसे का खून गर्म कर अपनी ओढणियां रंगी। भैंसे के सिर को देग बनाने के कारण इस स्थान का नाम देगराय हुआ। मन्दिर में प्रतिष्ठापित प्रतिमा में सातों देवियों को त्रिशूल से भैंसे का वध करते हुए दर्शाया गया है।
रात को सुनाई देती है नगाड़ों और घुंघरुओं की आवाजें
देगराय के देवल में रात को ठहरना मुश्किल है। यहाँ रात्रि में नगाड़ों और घुंघरुओं की ध्वनि सुनाई देती है तथा कभी-कभी दीपक स्वतः ही प्रज्वलित हो जाते हैं।
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