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184 गाँवों की कुलदेवी है बाघेश्वरी माता

मध्यप्रदेश में धार जिले में बाग शहर में मां बाघेश्वरी देवी के इस मंदिर को मालवा के साथ-साथ निमाड़ के 184 ग्रामों की कुलदेवी के रुप में मान्यता प्राप्त है। यह मंदिर बाग-कुक्षी मार्ग पर स्थित है। मंदिर से जुड़ी किवदंतियों के अनुसार इसे महाभारतकालीन माना जाता हैं। ऊंची सुरम्य पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के शिखर पर सन् 1997 में स्वर्ण कलश की स्थापना की गई है।

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बाघेश्वरी देवी राजा मोरध्वज की कुलदेवी थी। इस मंदिर का सम्बन्ध ग्वालियर रियासत के सिंधिया परिवार से भी रहा हैं। नवरात्रि पर्व पर मां बाघेश्वरी की प्रतिमा पर मुखौटा लगाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही हैं। नवरात्रि के अलावा वर्षभर बाघेश्वरी देवी की सौम्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं।

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पुरातात्विक दृष्टि से इस मंदिर का निर्माण काल 4 से 5 हजार वर्ष पूर्व का बताया जाता हैं। इसका गर्भगृह और सभा मंडप आज भी मूलरुप में हैं। सभा मंडप की रचना नौ दुर्गा के कारण 9 खंडों में विभक्त हैं।

 श्रद्धालुओं को प्रतिदिन बाघेश्वरी देवी का प्रात: बाल रुप, दोपहर में यौवन और शाम को वृद्ध रुप देखने को मिलता हैं। प्रति वर्ष बागवासी लक्ष्मीपूजन (दीपावली) पर मंदिर के अंखंड दीप की ज्योति से अपने घरों के दीप प्रज्वलित करते हैं।

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माँ बाघेश्वरी देवी के मंदिर में आश्विन और चैत्र नवरात्र को विशेष पर्व मनाया जाता है। सुबह साढ़े 5 बजे की आरती से लेकर रात 9 बजे तक मंदिर में होने वाली 5 आरतियों में बाग के अलावा निमाड़ क्षेत्र के 184 गाँवों के श्रद्धालु आते हैं।

2 thoughts on “184 गाँवों की कुलदेवी है बाघेश्वरी माता”

  1. 184 गाव कोणते कोणते आहे हे कळू शकते का …

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  2. Sanjay Thosar amravati ठोसर आडनाव असून माळवी सोनार जातींचे आहे kuldevi कोणती आहे 184 गावांची कुलदेवी चे नावे ई-मेलवर पाठवा

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