राजस्थान में जमवा रामगढ की जमवाय माता के अलावा झुंझुनू जिले के भोड़की गाँव से 2 किलोमीटर दक्षिण दिशा में धामाणा जोहड़ा (तालाब) के किनारे भी जमवाय माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह स्थान धामाणा धाम नाम से लोकविख्यात है। इस मन्दिर का शिखर काफी ऊंचा है और गर्भ-गृह आंगन की सतह से लगभग चार फीट नीचा है। इसमें देवी की प्रतिमा एक शिला पर उत्कीर्ण है। कहते हैं कि यह मन्दिर आठ सौ वर्ष पुराना है। इस मन्दिर का 1938 में नव-निर्माण किया गया है।
राजस्थान में झुंझुनू जिले की उदयपुरवाटी तहसील में गुढ़ागौड़जी – उदयपुरवाटी मार्ग पर स्थित पोसाना गांव से दो किलोमीटर उत्तर में तथा गुढ़ागौड़जी-नवलगढ़ मार्ग पर स्थित भोड़की गाँव से दो किलोमीटर दक्षिण में जमवाय माता का प्रसिद्ध मन्दिर स्थित है। यहाँ पर साल भर श्रद्धालु भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी रहती है। आश्विन तथा चैत्र नवरात्रों में यहाँ मेलों का आयोजन होता है। इनमें लाखों की संख्या में भक्तगण अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।
माँ की कृपा से सुधरे चोर ने बनवाया था यह मन्दिर
लोकश्रुति के अनुसार केतु और धामा नाम के दो भाई थे। देवी ने संकट के समय उनकी सहायता की तब धामा ने देवी का मन्दिर बनाने का संकल्प लिया था। इस किंवदंती के अनुसार बहुत साल पहले जब दिल्ली पर पृथ्वीराज चौहान का शासन था उसी समय दिल्ली में तंवर (राजपूत) जाति के केतु व धामा नाम के दो भाई रहते थे। दोनों भाई राहगीरों को लूटते वह चोरी डाका डालते थे। एक बार किसी चोरी के अपराध में दोनों भाइयों को शासक ने देश निकाला दे दिया। दोनों भाई वहां पर शासक से बचने के लिए अपनी तंवर (राजपूत) जाति को छुपाकर गढ़वाल (जाट) बनकर रहने लगे। दोनों भाई वहां से चलकर उदयपुरवाटी के पास धनावता गाँव में आकर रहने लगे। यहां पर उन्होंने अपना पुराना काम चोरी व डाका डालना चालू कर दिया। उन्होंने धनावता में शिव मंदिर बनवाया कुछ समय बाद दिल्ली पर मुसलमानों के बादशाह गजनी ने आक्रमण कर दिया और दिल्ली का शासक बन गया। एक बार दोनों भाइयों ने भेड़ों के झुण्ड में से एक-एक भेड़ चुरा ली। भेड़ों के मालिक ने उन्हें ऐसा करते देख लिया वह उनके पीछे भागा। अंत में दोनों भाई पकडे गए तब भेड़ों के मालिक ने उन्हें बादशाह के पास पेश किया। बादशाह ने दोनों भाइयों को बेड़ियाँ पहनाकर काल कोठरी में डलवा दिया। धामा को दुर्गा का इष्ट था। उसने दुर्गा का ध्यान किया और प्रण किया कि दोनों भाई कभी भी चोरी नहीं करेंगे।आप हमारी रक्षा करें। कहा जाता है कि उसी समय मां दुर्गा की कृपा से उनकी बेड़ियाँ खुल गईं और काल कोठरी का ताला व दरवाजा अपने आप खुल गया। जब बादशाह ने यह सब देखा तो उसने उनको रिहा कर दिया।
दोनों भाई वहां से छूटने के बाद वापस धनावता आ गए और धनावता की पहाड़ी पर मकान बनाकर रहने लगे। थोड़े ही समय बाद उंहें मालूम हुआ की पहाड़ी में तांबा है, तो दोनों भाई तांबा निकलवाने लगे और बहुत अधिक धनाढ्य बन गए। कुछ समय बाद केतु की मृत्यु हो गई और उसकी पत्नी माली उस पर सती हो गई जो आज माली के नाम से जानी जाती है। एक दिन शिव मंदिर में वहां एक साधू आया और धामा से कुछ मांगा लेकिन धामा ने उन्हें देने से इंकार कर दिया। और उन्हें फटकार दिया। बाबा क्रोधित हो गए और धामा को तांबे की खान नष्ट होने का शाप दे दिया और उसी समय खान नष्ट हो गई। धामा बाद में बहुत पछताया। लेकिन जो होना था वह तो हो गया। धामा ने फिर भगवती का ध्यान किया और रात में सो गया।
मां भगवती दुर्गा ने उसे रात को स्वप्न में दर्शन दिया और कहा कि तुम्हारे घोड़े को पश्चिम दिशा में ले जाना और जहां घोड़े के पैर रुक जाएं वहां पर एक मंदिर व तालाब बनवा देना। धामा ने उसी समय घोड़े को दौड़ाया तो आज जहां माताजी का जोहड़ा है वहां पर आकर घोड़ा रुका जब वहां पर मंदिर का काम शुरू हुआ तो जमीन फटी और जमीन में से माँ दुर्गा की प्रतिमा प्रकट हुई। जमीन से प्रकट होने के कारण उसका नाम जमवाय रखा गया। उसके बाद धामा यही पर 500 बीघा जमीन लेकर रहने लगा। जब धामा स्वर्ग सिधार गया तो अपने पीछे वह 500 बीघा जमीन बंजर छोड़ गया जिसे धमाना वाली जमवाय माता के बीड़ के नाम से जानते हैं।
आज जमवाय माता का यह पूजा-स्थल अनेक जातियों और उपजातियों की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। वैसे तो हर दिन ही आस-पास तथा दूर दराज से माता के उपासक यहाँ आते रहते हैं, किन्तु जब नवरात्र में यहाँ बड़ा मेला लगता है तब विशेष भीड़ होती है। यहाँ दूर-दूर से प्रवासी उपासक आते हैं और कुलदेवी से अपनी मनौती पूरा करने की प्रार्थना करते हैं।
जमवाय माता मन्दिर धामाणा धाम भोड़की के कुछ चित्र-
कैसे पहुंचें ? (How to reach Jamwai Mata Temple Bhorki Rajasthan ) –
राजस्थान में झुंझुनू शहर से लगभग 54 किलोमीटर तथा सीकर से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदयपुरवाटी से 19 किलोमीटर की दूरी पर भोड़की गाँव है। भोड़की से 2 किलोमीटर दक्षिण में धामाणा धाम में माँ जमवाय का मन्दिर स्थित है। उदयपुरवाटी से यहाँ आने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध है।
Jai maa kuldevi
Jai ma kuldevi
Jai maa jamway….kuldevi
Jai juwai mata ki jai
mata ka mandir ha aour Gadhwollon ki or rajputon ki kul devi hai jai jmuwai mata ki jai
Jai jamuwai mata ki jai
mata ka mandir ha aour Gadhwollon ki or rajputon ki kul devi hai jai jmuwai mata ki jai
Jai Shree Jamway Mata Ji
Jai ma kuldevi ki
गुगल पर हमने पढ़ा है।इसका इतिहास मीणो कछाओ से जुड़ा है।लेकिन इस माता की उत्पति कहा से हुई।ये नही मिला।इसका मुख्य मंदिर माची जमवा राम गढ़ में है।यह पर परमार वंश के सेहरा मिनाओ का राज था।