Kuldevi Pujan Vidhi : इस लेख में आपको बताया जा रहा है कि कुलदेवी माँ का पूजन किस प्रकार किया जाना चाहिये। अपनी कुलदेवी मंगल के पाठ से पहले भी षोडश उपचार से कुलदेवी पूजन करना चाहिये। पूजन के लिए पूर्वाभिमुख होकर आचमन, पवित्रीकरण, मार्जन, प्राणायाम कर संकल्प करें। स्वस्तिवाचन आदि के बाद कुलदेवी की प्रधानपूजा करें।
Kuldevi Pujan Vidhi Video :
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ध्यानम्
कुलदेवीं कृपामूर्तिं नित्यां स्वकुलवत्सलाम्
कुलहितैषिणीं शक्तिं वन्दे श्रीकुलमातरम्
आवाहनम्
त्रिपुटीगतलोकख्यकुलस्याम्बां कुलेश्वरीम्
कुलदेवीं कुलाराध्यां श्रियमावाहयाम्यहम्
श्री कुलदेव्यै नमः। श्रीकुलदेवीम् आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि।
(आसन के रूप में पुष्प अर्पण करें)
षोडश उपचार से कुलदेवी पूजन विधि
१. पाद्य – श्री कुलदेव्यै नमः। पादयोः पाद्यं समर्पयामि। (जल चढ़ावें)
२. अर्घ्य – श्री कुलदेव्यै नमः। अर्घ्यं समर्पयामि। (चन्दन पुष्प अक्षत युक्त अर्घ्य देवें)
३. आचमन -श्री कुलदेव्यै नमः। आचमनीयं जलं समर्पयामि। (सुगन्धित जल चढ़ावें)
४. (अ) स्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। स्नानार्थं जलं समर्पयामि। स्नानान्ते आचमनं समर्पयामि। (स्नान व आचमन हेतु जल चढ़ावें)
(आ) दुग्धस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। दुग्धस्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (गाय के दुग्ध से स्नान करावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(इ) दधिस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। दधिस्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (गाय के दही से स्नान करावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(ई) घृतस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। घृतस्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (गाय के घी से स्नान करावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(उ) मधुस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। मधुस्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (मधु से स्नान करावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(ऊ) शर्करास्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। शर्करास्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (शक्कर से स्नान करावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(ए) पंचामृतस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। पंचामृतस्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (पंचामृत से स्नान करावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(ऐ) गन्धोदकस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। गन्धोदकस्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (चन्दन मिला हुआ जल चढ़ावें, पुनः शुद्ध जल से स्नान करावें)
(ओ) इत्र उद्वर्तनस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। उद्वर्तनं समर्पयामि। शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (इत्र अर्पण करें, शुद्ध जल से स्नान करावें)
(औ) गंगाजलस्नान – श्री कुलदेव्यै नमः। गंगोदकस्नानं समर्पयामि। (गंगाजल से स्नान करावें)
५. वस्त्रोपवस्त्र – श्री कुलदेव्यै नमः। वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि। (वस्त्र और उपवस्त्र अर्पित करें)
६. गन्ध – श्री कुलदेव्यै नमः। गन्धं समर्पयामि। (चन्दन अर्पित करें)
७. अक्षत – श्री कुलदेव्यै नमः। अक्षतान् समर्पयामि। (कुंकुमयुक्त अक्षत अर्पित करें)
८. पुष्प, पुष्पमाला – श्री कुलदेव्यै नमः। पुष्पाणि पुष्पमालां च समर्पयामि। (पुष्प तथा पुष्पमाला अर्पित करें)
९. दूर्वा – श्री कुलदेव्यै नमः। दुर्वांकुरान् समर्पयामि। (दूब चढ़ावें)
१०. नाना परिमल द्रव्य – श्री कुलदेव्यै नमः। नाना परिमलद्रव्यं समर्पयामि। (अबीर गुलाल हल्दी का चूर्ण चढ़ावें)
११. धूप-दीप – श्री कुलदेव्यै नमः। धूपम् आघ्रापयामि। दीपम् दर्शयामि। (धूप-दीप दिखावें)
१२. नैवेद्य – श्री कुलदेव्यै नमः। नैवेद्यं समर्पयामि। नैवेद्यान्ते आचमनीयं समर्पयामि। (मिठाई, खीर, लपसी आदि नैवेद्य अर्पित करें। आचमन करावें)
१३. ऋतुफल – श्री कुलदेव्यै नमः। ऋतुफलं समर्पयामि। (ऋतुफल चढ़ावें)
१४. ताम्बूल – श्री कुलदेव्यै नमः। ताम्बूलं समर्पयामि। इलायची, लौंग, सुपारी के साथ ताम्बूल अर्पण करें)
१५. सौभाग्यपेटिका – श्री कुलदेव्यै नमः। सौभाग्यपेटिकां समर्पयामि। (कुंकुम, सिन्दूर, आभूषण, काजल, सौभाग्य सूत्र आदि से युक्त सौभाग्यपेटिका अर्पित करें)
१६. दक्षिणा – श्री कुलदेव्यै नमः। दक्षिणां समर्पयामि। (दक्षिणा अर्पित करें)
इति षोडशोपचारैः पूजयेत्
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Respected Sanjay Sharma sir
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