Utkala Brahmin History in Hindi : उत्कल का शाब्दिक अर्थ है ” कला में श्रेष्ठ” । जो लोग जाति से ब्राह्मण थे और कला में सर्वश्रेष्ठ थे वे उत्कल ब्राह्मण के रूप में जाने जाते थे। अब उत्कल ब्राह्मण ओडिशा और इसके पड़ोसी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और झारखंड और भारत और विदेश के अन्य हिस्सों में पाए जाते हैं।
उत्कल साम्राज्य आधुनिक भारत के ओडिशा राज्य के पूर्वी भाग में स्थित था। महाभारत में इस राज्य का उल्लेख उत्कल, ओद्र देश, ओडियाना आदि नामों से किया गया है। उत्कल का नाम पुराणों, महाकाव्यों और विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में वर्णित है। स्कंद पुराण के अनुसार, उत्कल की भूमि भारतवर्ष में पवित्र भूमि है, जहां पर पुरुषोत्तम क्षेत्र स्थित है। उत्कल साम्राज्य को कालक्रमानुसार कलिंग, कांगोदा, ओद्र देश, महाकांतार, दक्षिण कोशल, दंड भुक्ति, उड़ीसा सुबाह आदि नामों से भी जाना जाता था। उड़ीसा के सूर्यवंशी सम्राट गजपति कपिलेंद्र देव ने अपने राज्य का नाम उत्कल से परिवर्तित कर उड़ीसा राष्ट्र किया।
पंचगौड़ ब्राह्मण समुदाय में उत्कल ब्राह्मणों का भी विशेष महत्त्व है। उड़ीसा में रहने वाले ओड़िया ब्राह्मण ही उत्कल ब्राह्मण कहलाते हैं। प्राचीनकाल में उत्कल नामक राजा ने अपने राज्य के पूर्व भागीरथी गंगातटवासी ओड़िया ब्राह्मणों को निमन्त्रित कर पुरुषोत्तम जगन्नाथपुरी में यज्ञ करवाया। यज्ञ समाप्ति के बाद आये हुए सभी ब्राह्मणों को जगदीशजी की सेवा के निमित्त वहीं स्थापित कर दिया। इन्हीं ब्राह्मणों को कालान्तर में उत्कल ब्राह्मण नाम से जाना गया। उत्कल ब्राह्मण जगन्नाथजी के पूजक सेवक बने। ये लोग मछली और भात का खान-पान करते हैं तथा कर्मकाण्ड में श्रेष्ठ होते हैं।
‘मत्स्य पुराण’ के अनुसार इक्ष्वाकु वंश में इला नामक प्रतापी राजा हुए। इन्हें सुद्युम्न नाम से भी जाना जाता है। इनके तीन पुत्र हुए – उत्कल, गय तथा हरित। उत्कल ने उत्कल नामक नगर को बसाया। इसी उत्कल राज्य में रहने वाले सभी ब्राह्मण उत्कल ब्राह्मण कहलाते हैं। दूसरे पुत्र गय ने गया तथा हरिताश्व ने हरित नगर बसाये।
संस्कृति और परंपराएं
उत्कल ब्राह्मणों की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और वे अपनी अनूठी प्रथाओं और मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं। वे वैदिक संस्कृति के सिद्धांतों का पालन करते हैं और वेदों, पुराणों और अन्य पवित्र ग्रंथों के अध्ययन पर बहुत जोर देते हैं। वे ज्योतिष, खगोल विज्ञान और वैदिक ज्ञान की अन्य शाखाओं में अपनी विशेषज्ञता के लिए भी जाने जाते हैं।
उत्कल ब्राह्मणों की वास्तुकला और कला की अपनी अलग शैली है, जो ओडिशा के मंदिरों और स्मारकों में स्पष्ट है। वे अपनी उत्कृष्ट मूर्तियों, चित्रों और हस्तशिल्प के लिए जाने जाते हैं, जो उनकी गहरी आध्यात्मिक और कलात्मक संवेदनाओं को दर्शाते हैं।
समुदाय अपने विस्तृत अनुष्ठानों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है, जो उनकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं। उत्कल ब्राह्मणों के बीच सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में दुर्गा पूजा, दिवाली और रथ यात्रा शामिल हैं। वे विभिन्न क्षेत्रीय त्यौहार भी मनाते हैं, जैसे ‘बाली जात्रा’, ‘कोणार्क महोत्सव’ और ‘पुरी बीच महोत्सव’।
उत्कल ब्राह्मणों की उपाधियाँ –
- आचार्य
- उपाध्याय
- खुटिया
- दास
- पति
- नेकाव
- महताव
- महापत्र
- दूबे
- मिश्र
- सतपति
- सामन्त
- सेनापति
- राउत
उत्कल ब्राह्मणों के गोत्र व शाखाएँ –
उत्कल ब्राह्मणों के तीन विभाग हैं – 1. श्रेष्ठ , 2. कनिष्ठ तथा 3. श्रेणी
श्रेणी उत्कल ब्राह्मणों की चार शाखाएँ हैं –
- शाखी श्रेणी उत्कल ब्राह्मण
- जयपुरी श्रेणी उत्कल ब्राह्मण
- पराग श्रेणी उत्कल ब्राह्मण
- उत्कल श्रेणी ब्राह्मण
उत्कल ब्राह्मणों का विभाजन इस प्रकार है-
- शशानी ब्राह्मण
- श्रोत्रिय ब्राह्मण
- पांडा ब्राह्मण
- घाटिया ब्राह्मण
- महास्थान ब्राह्मण
- कलिंग ब्राह्मण
I belongs to udhisa family and from Utkal samaj