Bhaum Pradosh / Mangalvar Pradosh Vrat Katha in Hindi : प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी के दिन संध्याकाल के समय को “प्रदोष” कहा जाता है और इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब प्रदोष व्रत मंगलवार को आता है तो इसे ‘भौम प्रदोष’ कहा जाता है। इस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से भक्तों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए दूर होती है और उनके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। भोम प्रदोष व्रत जीवन में समृद्धि लाता है।
2018 में मंगल प्रदोष / भौम प्रदोष व्रत के दिन व समय | Mangalvar Pradosh / Bhaum Pradosh Vrat Dates and Time in 2018
दिनांक | वार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष / कृष्ण पक्ष) | समय |
13 फरवरी | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) | 18:05 to 20:41 |
27 फरवरी | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) | 18:15 to 20:46 |
10 जुलाई | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) | 19:18 to 21:21 |
24 जुलाई | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) | 19:12 to 21:18 |
20 नवम्बर | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) | 17:21 to 20:03 |
04 दिसम्बर | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) | 17:19 to 20:04 |
मंगल प्रदोष / भौम प्रदोष व्रत की विधि | Mangalvar Pradosh / Bhaum Pradosh Vrat Puja Vidhi :
मंगल प्रदोष / भौम प्रदोष व्रत करने से सभी व्याधियों का नाश होता है। इस दिन व्रती को एक समय गेहूँ और गुड़ का भोजन करना चाहिये। देव प्रतिमा पर लाल रंग का पुष्प चढ़ाना चाहिये तथा स्वयं लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिये। इस व्रत को करने से सभी पापों व रोगों का नाश हो जाता है।
प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिये। पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय ” का जप करें। पूरे दिन निराहार रहें। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिये। शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें । पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें। “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें।
ध्यान का स्वरूप– करोड़ों चंद्रमा के समान कांतिवान, त्रिनेत्रधारी, मस्तक पर चंद्रमा का आभूषण धारण करने वाले पिंगलवर्ण के जटाजूटधारी, नीले कण्ठ तथा अनेक रुद्राक्ष मालाओं से सुशोभित, वरदहस्त, त्रिशूलधारी, नागों के कुण्डल पहने, व्याघ्र चर्म धारण किये हुए, रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान शिव जी हमारे सारे कष्टों को दूर कर सुख समृद्धि प्रदान करें।
ध्यान के बाद, सोम प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा सुनायें। कथा समाप्ति के बाद। हवन सामग्री मिलाकर ११ या २१ या १०८ बार “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा ” मंत्र से आहुति दें। उसके बाद शिव जी की आरती करें। उपस्थित जनों को आरती दें। सभी को प्रसाद वितरित कर गेहूँ और गुड़ का भोजन ग्रहण करें।
मंगल प्रदोष / भौम प्रदोष व्रत कथा | Bhaum Pradosh / Mangalvar Pradosh Vrat Katha in Hindi :
एक नगर में एक वृद्धा निवास करती थी । उसके मंगलिया नामक एक पुत्र था । वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी । वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी । उस दिन वह न तो घर लीपती थी और न ही मिट्टी खोदती थी । वृद्धा को व्रत करते हुए अनेक दिन बीत गए ।
एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची । हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वहां गए और पुकारने लगे -“है कोई हनुमान भक्त जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?’ पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- ‘आज्ञा महाराज?’ साधु वेशधारी हनुमान बोले- ‘मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा । तू थोड़ी जमीन लीप दे।’ वृद्धा दुविधा में पड़ गई । अंततः हाथ जोड़ बोली- “महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी ।” साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- ‘तू अपने बेटे को बुला । मै उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाउंगा ।’ वृद्धा के पैरों तले धरती खिसक गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी । उसने मंगलिया को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया । मगर साधु रूपी हनुमान जी ऐसे ही मानने वाले न थे। उन्होंने वृद्धा के हाथों से ही मंगलिया को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई । आग जलाकर, दुखी मन से वृद्धा अपने घर के अन्दर चली गई ।
इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- ‘मंगलिया को पुकारो, ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।’ इस पर वृद्धा बहते आंसुओं को पौंछकर बोली -‘उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ।’ लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने मंगलिया को आवाज लगाई । पुकारने की देर थी कि मंगलिया दौड़ा-दौड़ा आ पहुंचा । मंगलिया को जीवित देख वृद्धा को सुखद आश्चर्य हुआ । वह साधु के चरणों मे गिर पड़ी । साधु अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए । हनुमान जी को अपने घर में देख वृद्धा का जीवन सफल हो गया । सूत जी बोले- “मंगल प्रदोष व्रत से शंकर (हनुमान भी रुद्र हैं) और पार्वती जी इसी तरह भक्तों को साक्षात् दर्शन दे कृतार्थ करते हैं ।”
मंगल प्रदोष / भौम प्रदोष व्रत उद्यापन विधि | Mangal Pradosh Vrat Udyapan Vidhi :
स्कंद पुराणके अनुसार इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
उद्यापन वाली त्रयोदशी से एक दिन पूर्व श्री गणेश का विधिवत षोडशोपचार से पूजन किया जाना चाहिये। पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है। इसके बाद उद्यापन के दिन प्रात: जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसके बाद रंगीन वस्त्रों और रंगोली से सजाकर मंडप तैयार कर लें। मंडप में एक चौकी पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। और विधि-विधान से शिव-पार्वती का पूजन करें। भोग लगाकर उस दिन जो वार हो उसके अनुसार कथा सुनें व सुनायें।
‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन किया जाता है। हवन में आहूति के लिए गाय के दूध से बनी खीर का प्रयोग किया जाता है। हवन समाप्त होने के बाद भगवान शिव की आरती की जाती है और शान्ति पाठ किया जाता है। अंत में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इसके बाद प्रसाद व भोजन ग्रहण करें।
अन्य वारों की प्रदोष व्रत कथायें –
Mangalvar Pradosh Vrat Katha | Bhaum Pradosh Vrat Katha | Bhaum Pradosh Vrat Vidhi | Bhaum Pradosh Vrat ke Laabh | Bhaum Pradosh Vrat Dates and Timings in 2018 | Bhaum Vrat Muhurt 2018 | Bhaum Pradosh Vrat Katha Hindi | Mangalvar Pradosh Vrat Vidhi | Mangalvar Pradosh Vrat Katha in Hindi | Mangalwar Pradosh Vrat Katha | Mangal Pradosh Vrat Katha |Mangal Pradosh Vrat Vidhi | Mangal Pradosh Udyapan Vidhi | Bhaum Pradosh Udyapan Vidhi
1 thought on “मंगल प्रदोष व्रत कथा, पूजा विधि, महत्त्व व मुहूर्त | भौम प्रदोष | Mangalvar Pradosh Vrat Katha”