Mata Baglamukhi Devi Kangra : माता बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। यह देवी पीले रंग के वस्त्र धारण करती है इसलिए इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है। इनकी उपासना वाणी की सिद्धी तथा शत्रुओं पर विजय पाने के लिए की जाती है। माना जाता है कि देवी बगलामुखी इतनी शक्तिशाली हैं कि समस्त ब्रह्माण्ड की शक्ति भी इनका सामना नहीं कर सकती।
मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
Mata Baglamukhi Devi Darshan, Vankhandi Temple – Kangra (Himachal) Video
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माता बगलामुखी की प्राकट्य कथा –
एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि का नाश होने लगा और और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गए। इस समस्या का कोई उपाय ना पाकर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे।
भगवान शिव ने प्रकट होकर भगवान् विष्णु से कहा कि भगवती शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत:आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप किया और महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया। देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज के साथ प्रकट हुई।
चतुर्दशी की रात्रि को माँ भगवती आदिशक्ति ‘देवी बगलामुखी’ के रूप में प्रकट हुई। त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका। यह देवी ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं तथा सिद्ध विद्या हैं। देवी बगलामुखी स्तंभन की देवी हैं।
काँगड़ा स्थित माँ बगलामुखी देवी का प्रसिद्ध सिद्धपीठ –
आज हम माता बगलामुखी देवी के हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्थित प्रसिद्ध मन्दिर का दर्शन कर रहे हैं। बगलमुखी मंदिर कांगड़ा जिले के एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। कई भक्त यहाँ हर रोज हिंदू देवी बगलमुखी की पूजा करने आते हैं। बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जनपद के बनखंडी क़स्बा में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। तब से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे।
माँ के जिस स्वरुप का वर्णन शास्त्रों में किया गया है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। ये पीतवर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। ‘बगलामुखी जयंती’ पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। ‘बगलामुखी जयंती’ पर हर साल देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, पूजा-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बगलामुखी देवी के मंदिर कैसे पहुंचे ? How to reach Mata Baglamukhi Devi Temple Kangra ?
कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। यहाँ प्रतिदिन ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।माँ बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर ‘वनखंडी’ नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का नाम ‘श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर’ है।
यदि आप सडक मार्ग से दिल्ली से आ रहे है तो आपको ठेहरा से लगभग १० किलोमीटर आगे चलना होगा। जैसा कि Map में दर्शाया गया है।
रेल मार्ग से आपको ज्वालामुखी रोड उतरना होगा और वहाँ से बस या टैक्सी से १५-20 मिनट में बगलामुखी धाम पहुँच सकते हैं। सबसे नजदीक एअरपोर्ट कांगड़ा (गग्गल है),जहाँ से आपको टैक्सी या बस द्वारा मंदिर आना होगा।
Very Nice information and excellent Photos.