परिचय :-
Prajapati Samaj | Kumhar caste history in hindi : कुम्हार शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के ‘कुम्भकार’ शब्द से हुआ है | जिसका अर्थ है -मिट्टी का बर्तन बाने वाला | द्रविड़ भाषाओं में भी कुम्भकार शब्द का यही अर्थ है | कुम्हारों का दुसरा नाम प्रजापत भी है | “भांडे” शब्द का प्रयोग भी कुम्हार जाति के सम्बोधन हेतु किया जाता है, जो की कुम्हार शब्द का समानार्थी है। भांडे का शाब्दिक अर्थ है-बर्तन। अमृतसर के कुम्हारों को “कुलाल” या “कलाल” कहा जाता है, यह शब्द यजुर्वेद में कुम्हार वर्ग के लिए प्रयुक्त हुये हैं। इस समाज की देवी श्री यादे माँ है | कुम्हार हिन्दू व मुसलमान दोनों ही धर्म में होते हैं | यह समाज की महत्वपूर्ण सेवा करता है तथा परिवार के उपयोग में आने वाले सभी प्रकार के बर्तनों का निर्माण करता है | यह लोग ग्राम के सेवकों में गिने जाते हैं | यह समाज काफी प्राचीन है, क्योंकि द्रोपदी सहित पांचो पाण्डव वनवास के समय पाँचाल देश के द्रुपद राजा के राजधानी के प्रजापत के घर में ठहरे थे |
कुम्हारों की उत्पत्ति :-
वैदिक भगवान प्रजापति के नाम का उपयोग करते हुये हिन्दू कुम्हारों का एक वर्ग खुद को प्रजापति कहता है। कहते है कि भगवान प्रजापति ने ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। शैरिंग कुम्हार की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द कुम्भकार से मानते हैं | कौल का मत है कि कुम्हारों की जाति का प्रारम्भ ब्राह्मण पति क्षत्रिय पत्नी से हुआ है |
कुम्हारों के उत्पत्ति की कथा :
ब्रह्माजी के विवाह में कुम्भ की जरूरत हुई तो महादेव जी ने अपनी जाता के बाल व पार्वती के मैल से एक पुतला बनाया, उस पर जल छिड़का तो उसने मनुष्य रूप धारण कर लिया | उसका नाम जलधरा रखा और उससे कलश बनाने को कहा, जिसके लिए अपने चक्र का चाक, कमंडल की कुड़ी और घोटे का हत्था चाक फेरने का, बनाकर दिया और जब उसने कुम्भ को चाक पर उतारा व धूनी के न्याव में पकाकर ब्रह्माजी को भेजा और ब्रह्माजी ने जलधरा को अपने पास बिठाया | जैसे जैसे लोग देखने आये, जलधारा पीछे हटता गया | इससे ब्रह्माजी ने कहा कि “दूर ही रहना और गाँव होड़े घड़ना |” इसी जलधरा से कुम्हार जाति बनी।
कैसे मिला ‘प्रजापति’ नाम | Prajapati :
एक बार ब्रह्मा जी ने अपने पुत्रों को गन्ने वितरित किए। सभी पुत्रों ने अपने हिस्से का गन्ना खा लिए, किन्तु अपने कार्य मे व्यस्त होने के कारण कुम्हार ने मिट्टी के ढेर के पास गन्ने को रख दिया जो कि मिट्टी के संपर्क मे होने के कारण पौधे के रूप मे विकसित हो गया। कुछ दिन बाद जब ब्रह्मा जी ने अपने पुत्रों से गन्ने मांगे तो कोई नही गन्ने लौटा नही सका, परंतु कुम्हार ने ब्रह्मा जी को पूरा गन्ने का पौधा भेंट कर दिया। कुम्हार के काम के प्रति निष्ठा देख ब्रह्मा जी ने उसे प्रजापति नाम से पुरस्कृत किया।
परंतु कुछ लोगो का मत है कि कुम्हारों के पारंपरिक मिट्टी से बर्तन बनाने की रचनात्मक कला को सम्मान देने हेतु उन्हे प्रजापति कहा गया |
कुम्हारों का वर्गीकरण | Kumhar Gotra :-
हिन्दुओ में कुम्हारों को निसंदेह क्षत्रिय राजपूत वर्ग में रखा गया है। साथ ही कुम्हारों को दो वर्गो- शुद्ध कुम्हार में विभाजित किया जाता है। कुम्हारों के कई समूह है, जैसे कि नेपाल व कुछ भारतीय राज्य मे सिक्किम मे गोला या गोले कुम्हार की जगह – गुजराती कुम्हार, परदेसी कुम्हार, राणा कुम्हार, लाद, तेलंगी इत्यादि। यह विभिन्न नाम भाषा या सांस्कृतिक क्षेत्रों पर आधारित नाम है ओर इन सभी को सम्मिलित रूप से कुम्हार जाति कहा जाता है|
कुम्हारो को निम्न वर्गों में बाँटा जा सकता है :-
1. खटेर कुम्हार | Khater Kumhar :-
खटेर कुम्हार गाय बैल पालते हैं | ये कृषि का कार्य करते हैं और दूसरे कुम्हारों में विवाह नहीं करते हैं |
2. बांडा कुम्हार |Banda Kumhar :-
बांडा कुम्हार मारवाड़ में गुजरात से आये हैं | यह नाम गुजरात के राजा सिद्धराज जयसिंह ने रखा था | बांडा कुम्हार जटियों, पुरबियों और मेवाडों में विवाह नहीं करते| यह केवल बर्तन बनाने का काम करते हैं व पानी भरने की बेगार भी देते हैं | ये शराब व मांस खाते-पीते हैं | यह रामदेवजी को मानते हैं | जो सांबलाजी को मानते हैं, वे शराब, मांस नहीं खाते | बांडा कुम्हारों में औरतें पाँव में चाँदी के कड़े और बांह में चूड़ा नहीं पहनती हैं | कांचलियों की बांह कोहनियाँ तक रखती हैं | ये कुम्हार खेजड़ी को पूजते हैं |
3. मारू कुम्हार | Maru Kumhar :-
मारु कुम्हार राजपूत से कुम्हार हुए हैं | मारु केवल राजस्थान में ही बसे हैं | ये दूसरे कुम्हारों में विवाह नहीं करते हैं | इनका मुख्य व्यवसाय मिट्टी के बर्तन बनाना है | कुछ लोग खेती भी करते हैं, जो खेतड़े कहलाते हैं | बर्तन बनाने वाले माटेड़ कहलाते हैं | ये तम्बाकू नहीं बोते, क्योंकि वे उसमें पाप समझते हैं | जोधपुर नगर में कुछ लोगों ने चुने के भट्टे भी लगा दिए हैं | भट्टे में आग ये लोग स्वयं नहीं लगाते हैं वरन् हरिजनों से पैसा देकर लगवाते हैं, क्योंकि भट्टे में आग लगाना पाप समझते हैं |
4. जटिया कुम्हार | Jatia / Jatiya Kumhar :-
जटिया कुम्हार शब्द की उत्पत्ति जाट से मानी जाती है | ये कृषि व इमारत बनाने का कार्य करते हैं | मुख्य व्यवसाय भेड़ व बकरियों के बालों से रस्सिया बनाना है |
5. पुरबिया कुम्हार | Purabiya / Purabia Kumhar :-
पुरबिया कुम्हार पूरब से राजस्थान आये | घास-फूल बेचकर जीवन निर्वाह करते हैं | ये मिटटी के खिलौने भी बनाते हैं | ये माता जी, हनुमान जी व रामदेवजी को पूजते हैं |
6. मेवड़ा कुम्हार | Mevda Kumhar :-
मेवड़ा कुम्हारों की उत्पत्ति मेवाड़ से है | ये चक्की के पत्थर तथा राजगिरि करते हैं | इनकी स्त्रियाँ पीतल के गहने पहनती हैं | ये खेती करते हैं और पत्थर भी गढ़ते हैं | मिट्टी का काम बहुत कम करते हैं | औरतें नाक में नथ और हाथ में बाजूबंद नहीं पहनती हैं |
7. मोयला कुम्हार | Moyla Kumhar :-
मोयला कुम्हार मुसलमान है और सिंध से राजस्थान आये | ये मिट्टी के बर्तन बनाते हैं | पहले जागीरदारों से बर्तनों के बदले माफ़ी की जमीन जोतते थे | ये मुसलमान होते हुए भी इनके रीति-रिवाज हिन्दुओं से मिलते-जुलते हैं | इनमे अफीम पिलाने पर सगाई पक्की मानी जाती है |
कुम्हार जाति की कुलदेवी | Kumhar Caste Kuldevi Shriyade Mata
कुम्हार जाति की कुलदेवी श्रीयादे माता है। श्री श्रीयादे माता का जीवन परिचय (प्रजापति युवा जागृति संस्थान, उदयपुर-राजस्थान से साभार ) इस प्रकार है-
Shriyade Mata Katha in Hindi : पुराणों के अनुसार त्रेता युग के प्रथम चरण में हिरण्यकशिपु राज्य मूल स्थान (मुल्तान) पंजाब पाकिस्तान में स्थित है, के समय अधर्म का नाश करने के लिये एवं भक्ति की महिमा एवं उसके उद्भव के लिए नरहरि खण्ड के अझांर नगर में भगवान शंकर ने कुम्हार उडनकेशरी व माता उमा ने श्रीयादे देवी के रूप में असोज मास की शरदपूर्णिमा के दिन दिव्य रूप में इस धरती पर अवतरित हुए। तत्कालिन राजा हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा जी का वरदान था कि न वह आकाश में मरेगा, ना जमीन पर, ना घर में, ना बाहर, ना दिन में, ना रात में, ना नर से, ना पशु से, ना अस्त्र से, ना शस्त्र से ऐसा वरदान पकार हिरण्यकश्यप निरंकुश हो गया एवं अपनी प्रजा पर अत्याचार करता था। उसने भगवान का नाम लेने वाले पर पाबंदी और धर्मकार्य पर रोक लगा दी।
दोनों पति-पत्नी ने राजाज्ञा की परवाह ना करते हुए,संयम एवं नियम से अपने ईष्ट भगवान की उपासना व भक्ति करते हुए अपना कुम्हारी धंधा (गांव कोल्या) में करने लगे। हमेशा की तरह एक दिन मिटटी के कच्चे बर्तन पकाने के लिए उन्होनें भटटी (न्यावडा) में लगा दिया और भटटी में अग्नि प्रवेश भी करा दी ।
इतने में कुछ देर बाद बिल्ली चिल्लाती हुई अपने बच्चे इधर-उधर ढूंढने लगी। बिल्ली की करूणामय आवाज सुनकर व उसकी घबराहट देखकर श्रीयादे माता ने अपनी पति श्री उडनकेशरी जी से निवेदन किया कि वह कच्चा कलश घडा कहां है, जिसमें बिल्ली ने बच्चे दिए थे। तब श्री उडनकेशरी जी ने कहा कि प्रिये ! वह मटका तो मैनें भूल से भटटी में पकाने हेतु रख दिया और उसमें अग्नि भी प्रज्जवलित कर दी है तथा निमाडे आधे से अधिक बर्तन पकने वाले है।
अपने पति से ऐसे वचन सुनकार श्रीयादे माता अत्यंत दुःखी हुई एवं उडनकेशरी जी भी अत्यंत चिंतित हुए। अग्नि में रखे बिल्ली के बच्चों की प्राण रक्षा के लिए भी दोनों पति-पत्नी भगवान विष्णु की उपासना व कीर्तन करता देख प्रहलाद व उनके साथियों को बडा आश्चर्य हुआ। राजकुमार प्रहलाद के साथ रहने वाले अंगरक्षकों ने उन्हें डांटते हुए कहा कि तुम राजा की आज्ञा का उल्लंघन करते हुए ईश भक्ति क्यों कर रहे हो? हमारे राजा के सामने तो देवता व इन्द्र भी सर झुकाते है।
तब श्रीयादे माता ने राजकुमार प्रहलाद को समझाया कि हे भाई आपके राजा से कई गुना शक्ति व अन्नत शक्ति के भण्डार भगवान विष्णु है। हमारे भगवान विष्णु आग में बाग लगाने की शक्ति व सामर्थ्य रखते है। ऐसी शक्ति आपके स्वामी के पास नहीं है। तब श्रीयादे माता ने भक्त प्रहलाद को प्रज्जवलित भटटी (निंभा) में से बिल्ली के बच्चे को जीवन दान देकर भगवान की प्रतिति करवाई।
यह कार्य उनके द्वारा चैत्र मास की शीतला सप्तमी को किया गया अतएव इस दिन प्रहलाद को माता की कृपा से ब्रहम ज्ञान की प्राप्ति हुई एवं वे ईश्वर भक्ति में लगे। उन्होनें राजकुमार प्रहलाद को बताया कि आज भूलवश वह मटका निंभा में रखा गया है जिसमें बिल्ली के बच्चे थे। अब उस प्रचड अग्नि से उन्हें बचाने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर रहे है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उस दहकती अग्नि से भगवान बिल्ली को सकुशल बाहर निकाल लेंगे।
यह बात सुनकार राजकुमार प्रहलाद उवं उनके साथ्यिों को बहुत आश्चर्य हुआ व उन्हें देखने के लिए प्रहलाद व उनके साथी वही रूक गये फिर भी श्रीयादे माता व उनके पति पुनः हरिस्मरण करते हुए, बर्तन की भटटी खोलना प्रारम्भ कर दिया। भटटी में से बर्तनों को निकालते हुए उस बिल्ली के बच्चे वाले मटके की बारी आई तो राजकुमार ने देखा कि मटका बिल्कुल कच्चा है और उसमें से बिल्ली के बच्चे हर्षोन्मत होकर बाहर निकले। उस प्रचड अग्नि में से बिल्ली के बच्चों को जीवित निकलता देखकर प्रहलाद ने श्रीयादे माता से नवधा भक्ति व हरि कीर्तन का पाठ पढकर राजमहल को गए व भक्त प्रहलाद हो गये एवं हरिकीर्तन करने लगे।
जब यह बात उनके सेनापतियों एवं गुप्तचारों को मिली तो उन्होनें इसकी सूचना राजा को दी कि आपका पुत्र राजाज्ञा से विमुख होकर हरि कीर्तन करने लगा है। तब राजा ने अनेक प्रकारों से भक्त प्रहलाद को समझाया एवं उसके ना मानने पर उसे मृत्यु दण्ड देने का आदेश भी दिया । जिसमें हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद की हत्या करने के लिए आदेश दिया जिसके परिपालन में होलिका द्वारा भक्त प्रहलाद को मारने के लिए गोद में लेकर बैठ गयी।
क्यों उसे वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती ऐसा वरदान उसे प्राप्त था किन्तु मां श्रीयादे की अनुकम्पा से होलिका का वह वरदान फलीभूत नहीं हुआ एवं वह स्वयं उस अग्नि में भस्म हो गयी तभी से होलिका दहन का पर्व मनाने की परम्परा रही है। भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप की जीवन लीला समाप्त कर दी।
इस कथा में भक्त श्रीयादे माता प्रजापति भक्त प्रहलाद की आध्यात्मिक गुरू एवं भक्ति की प्रेरणा स्त्रोत के रूप में वर्णित है। उसके बाद श्रीयादे माता व उडनकेशरी ने अर्थात उमा महेश नृसिहं भगवान के दर्शन किए व अपने मूल रूप में कुम्भकार को दर्शन देकर जल (सूर्यकुण्ड) में प्रविष्ठ हो शिव धाम लौट गए।
मुल्तान पंजाब में स्थित यह नगर हिरण्यकश्यप की राजधानी तथा भक्त प्रहलाद का जन्म स्थान है। यही पर नृसिंह भगवान ने अवतार लिया था। नृसिंह चतुदर्शी को यहां पर मेला लगता है एवं राजकुमार प्रहलाद को तत्व दर्शन देने के कारण शीतला सप्तमी को श्रीयादे माता के सम्मान स्वरूप उनका स्मरण दिवस इसी दिन भव्य उत्साह के साथ प्रजापति समाज के द्वारा मनाया जाता है।
अत्यंत रोचक व ज्ञानपरक जानकारी के लिए आभार।
Sir plzz Muje jayalwal gotra ki kuldevi ka kon h Plzzz Muje bataye agr aap ko pta ho to mera nam rakesh jayalwal h me nagaur rajasthan se hu MO no. –9782215265
Hello sir hmara gotr to apki list mai hai nhi mainy phly b aapko whtsaap kiya hm uttarpardesh mai hapur k rehny waly hai…. Kumhar jaati k
Gotr hai saad saavniya plss add this gotr
वैसे तो प्रजापति समाज की कुलदेवी shree yade ma ko बताते हैं मैं भी कुम्हार जाति से हूं लेकिन मेरी कुलदेवी ब्राह्मणी देवी है ऐसा क्यों प्लीज मुझे सही राय बताएं
Ye Verma kumhar konse hote h..btana jra plz
Verma kumhar me gotar bhi hoti h vo btao
Verma apani jati ka Nahi h kuchh State me obc me lagaate h
aap ka gotra kya h
Ye Verma AJ kal ki yuva pedhi lagati h aur jyadatar ye yuva pedhi purba kunhar jati k he
Yh bhi kumhar hi hote h, shekhawati said me paye jate h
2nd Floor, 208, Dhanlaxmi Heritage Appartment, Opp. Rana Rice Mill, Kachigam, Road, Vapi – 396 191.
Sir ji aaj pta chala kumhar jati ke bare me , Thanks
haryana north caste kumhar
gotr. sharsiya add this
Being offspring of Daksh Prajapati, Kumbhkars are called Prajapati. When there was no Varna, Prajapati was there, hence, it is stated by some of the knowledgeable persons of Hindu Dharma that Prajapati are upper in all castes including Brahmins. Maharaj Manu was also Prajapati. The creator of this world is also called as Prajapati as per Hindu mythology. King Shalivahana was also Prajapati (Kumbhkar).
Sri yade mata ki jay
श्री यादे माता की जय
AAPKA AABHAR,
ITIHAS KO ACHHE SE DARSHAYA GAYA H.
LEKIN KANHI KANHI JAGAH BICH M GALAT TIPPANIYA KI GAYI H JISE SUDHARA JAYE .
EK TARAF AAP BATA RAHE H KI KUMHAR JAATI BRAHMMA JI SE H OR BAHUT HI PRACHIN SAMAY SE H.
TO YAHA PAR KISI OR SE COMPARE KYU KIYA GAYA JO KI GALAT H.
IS BAAT KI NINDA KARTE H, R ISKO HI KIYA JAAYE.
TOD MAROD KE PESH NA KARE.
NIVEDAN H.
everystudent.in ki advertise iss site se band kare, hamari web site hindu reet rivajo ke liye prashiddh hai aur kristain missionary is me sengh mare ke logo ko hundu dhamra ke virudh bhadkate hai aur logo ko convert karne ka praytna karte hai
krypiya aapse anuraodh hai li isseroke
jai hind
Kirodiwal gotra ka kuldevta kon hai
Bhatiwal , Hodkasiya, Nokhwal .melethiya, gangwa, birthliya ye bhi kumhar jatiya h..or bhi h Kai
Ghorela
Maa jiwan bhwani jo sikar rajasthan me he
BANDA KUMAR (PRAJAPAT) ME GADUNIA GOTRA KI KULDEVI KON SI MATA HAI .KRAPAYA KOI BATAYE.MUJE MALUM NAHI HAI.
Banda kumbhar
बैरा गोत्र है, हमारी कुलदेवी कौन है
कृपया मुझे बताइए।
Hlo sur
my name is Mukesh and i am 26 years old i am from jodhpur and i am ghodaelaa
Baanda kumar
Basically i am from kosana near pipaar city but i born in jodhpuAnd i am unmarried i want a partner to get married…….
SRI YADE MATAKI JAI
Shri yade mata ki jai
& verma kumhar ke bare मे बताएं
Verma koi kumhar nahi hote galat sir name lagate he . ..prajapati lagane se kumhar najar aate he isliye Verma lagate he…..
Right
sir m u. p. district jalaun se hu, prajapati,jigniya gotra ke eastdev or unka mandir kahan, kis city me h agr pata ho to plz share me sir, my whatsapp no -6392530906
मालवीय प्रजापति कुम्हार की कुलदेवी
और जो वर्दिया वंशी कुम्हार होते हैं जिनकी कुल देवी केला देवी हैं उनका क्या इतिहास है ?
Baradana jati ki kuldevi bataye plz
घोड़ेला गोत्र की कुलदेवी बताने बताने की कृपा करें
मैं गाेले प्रजापति हूं। मेरा गाैत्र हेरुक है। मेरी कुलदेवी काैन है, पता नहीं हैं। मैं अभी डूंगरपुर में दैनिक भास्कर ब्यूराेचीफ पद पर हूं। मूलतह मुरैना मध्यप्रदेश निवासी हूं। पिछले 12 साल से मैं उदयपुर अाैर डूंगरपुर में ही बसा हुअा है। अगर मेरी कुलदेवी के बारे में अगर कुछ पता हाे ताे कृपया जरुर बताएं। मेरा माेबाइल नंबर 8290187125