विनोद शर्मा
कृष्णगौड़ ब्राह्मण सेवा समिति, जयपुर
द्वारा प्रेषित आलेख
महर्षि गर्गाचार्य जी का परिचय
महर्षि गर्ग अंगिरस गौत्र में उत्पन्न एक परमश्रेष्ठ मंत्र दृष्टा ऋषि है। ऋग्वेद के 6/47 सूक्त के मंत्र रचियता महर्षि गर्गाचार्य जी है। वे महान शिव भक्त रहे है, भगवान शिव ने स्वयं इन्हें अपना परम शिष्य बताया है। इन्होंने सरस्वती के तट पर मानस यज्ञ कर भगवान शिव को प्रसन्न कर चौसठ कलाओ एवम ज्योतिष का अनुपम ज्ञान प्राप्त किया था। अंगिरस कुल में महर्षि भुवमन्यु से गर्गाचार्य जी का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी के मानस पुत्रो में महामुनि गर्ग को भी गिना जाता है जिन्हें स्वयं ब्रह्मा ने यज्ञ सिद्धि के लिये अपने मानस पुत्र के रूप में उत्पन्न किया था। भगवान शंकर व देवी पार्वती जी का विवाह संस्कार महर्षि गर्गाचार्य जी के आचार्यत्व में ही सम्पन्न हुआ था। भगवान कृष्ण व बलराम जी का नामकरण संस्कार महर्षि गर्गाचार्य जी ने ही सम्पन्न करवाया था।
महर्षि गर्गाचार्य जयंती
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि महर्षि गर्गाचार्य जी के अवतरण दिवस के रूप में विख्यात है। इसी दिन को ऋषि पंचमी पर्व भी मनाया जाता है। महर्षि गर्गाचार्य जी का जन्म अंगिरस गौत्र में हुआ।इनके पिता का नाम भुवमन्यु था ये मुनि भरद्वाज जी के पौत्र व देवगुरु बृहस्पति जी के प्रपौत्र हुए। महर्षि गर्गाचार्य जी के प्रति श्रद्धाभाव व्यक्त करने का यह एक पवित्र दिन बताया गया है।
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ऋषि पंचमी व महर्षि गर्ग पूजा विशेष
भारतवर्ष ऋषि मुनियों का स्थल रहा है। ऋषि मुनियों के द्वारा रचित वेद पुराण आदि ग्रंथ सदैव समस्त मानव जाति का मार्गदर्शन करते रहे है। ऋषि मुनियों द्वारा किये गए तप, जप, ज्ञान, विवेक, तेज आदि कृत्यों का यह मानव समाज सदैव ऋणी रहेगा। उनके प्रति श्रद्धा व निष्ठा भाव के रूप में ऋषि पंचमी मनाई जाती है।
ऋषि पूजा विशेष-
- इस दिन भक्त जन ब्रह्म मुहर्त में उठे।
- स्नान आदि से निवृत हो और अपने नियमित कार्यो को निपटा ले।
- घर या मंदिर में महर्षि गर्गाचार्य जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करे।
- उसके पश्चात कलश स्थापना व दीपक प्रज्वलित कर भगवान गर्गाचार्य जी का स्मरण करे और पूजा व व्रत आदि का संकल्प करें।
- सप्तऋषि मंडल की स्थापना करे व पूजन करे।
- षोडश उपचार द्वारा महर्षि गर्गाचार्य जी व सप्त ऋषि की आराधना करें।
- महर्षि गर्गाचार्य जी तथा सप्त ऋषि के निमित फल व नेवैद्य अर्पण करे।
- अब विधि अनुसार ऋषि तर्पण करे।
- हवन आदि का आयोजन करे एवम ऋषियों के प्रति आहुतियां अर्पण करे।
- उसके पश्चात आरती करके पुष्पांजलि अर्पण करें।
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महर्षि गर्गाचार्य जी ध्यान
नमो नमस्ते गुरूवराय नमोsस्तु ते देव जगन्निवास। कुरुष्व सम्पूर्ण फलम ममाद्य नमोस्तु तुभ्यं गर्गेश्वराय।।
महर्षि गर्गाचार्य जी 108 नामावली
- ॐ गर्गाचार्य नमः,
- गर्ग मुनि नमः,
- गुरूवाराय नमः,
- ऋषिभ्यां नमः,
- गार्गेश्वराय नमः,
- ब्रह्मणे नमः,
- शुक्लवर्णाय नमः,
- वरदाय नमः,
- शिवभक्ताय नमः,
- कृष्णगुरूवाराय नमः,
- गर्गवंश आदिपुरुषाय नमः,
- वेदगर्भाय नमः,
- अंगिराय नमः,
- कृष्ण-नामकर्णाय नमः,
- शिवविवाह आचार्य नमः,
- यदुवंशिकुल आचार्य नमः,
- ब्रह्म पुत्राय नमः,
- ज्योतिषाचार्य नमः,
- भुवमन्युसुताय नमः,
- भविष्य दर्शनाय नमः,
- गुरुगार्गयो नमः,
- वेदवेदांग पारंगाय नमः,
- चतुर्वेदतेजसा नमः,
- कमंडलु धराय नमः,
- वरदाय नमः,
- वनमालिने नमः,
- सुरश्रेष्ठाय नमः,
- बृहस्पतये नमः,
- सुरप्रियाय नमः,
- जटाधराय नमः,
- विजयाय नम:,
- मर्गाम्बराय नमः,
- पुरषोत्तमाय नमः,
- गर्ग संहिता रचनाकाराय नमः,
- वनरामणिये नमः,
- मंत्रद्रष्टाय नमः,
- मुनये नमः,
- कृष्ण द्विजाय नमः,
- शुभंकराय नमः,
- पद्म नेत्राय नमः,
- सुशोभिताय नमः,
- अन्नदात्रे नमः,
- देवीभक्ताय नमः,
- गायत्री सुताय नमः,
- द्विज प्रियाय नमः,
- महारूपाय नमः,
- विश्वकर्मणे नमः,
- देवाध्यक्षाय नमः,
- पितामहः नमः,
- भरद्वाजाय नमः,
- नारद प्रियाय नमः,
- सुदर्शनाय नम,
- वेदरूपिने नमः,
- ब्राह्मण प्रियाय नमः,
- ज्योतिष ज्ञाताय नम:,
- पूजनीय नमः,
- गर्गादित्याय नमः,
- रामप्रियाय नमः,
- द्विजाय नमः,
- परमश्रेष्ठाय नमः,
- छत्रधारणायें नमः,
- श्वेतदन्ताय नमः,
- पिंगल जटाधराय नमः,
- वास्तुकाराय नमः,
- इष्टदेवाय नमः,
- शिव प्रियाय नमः,
- वृषणिप्रियाय नमः,
- हिमवासिने नमः,
- राजगुरुभ्यामनमः,
- जगद्गुरु नमः,
- मुनिवराय नमः,
- सर्वज्ञ नमः,
- मुनिन्द्राय नमः,
- योगीश्वराय नमः,
- शिष्यप्रियाय नमः,
- ब्रह्मतेजाय नमः,
- पद्म लोचनाय नमः,
- सरस्वतीकणठाय नमः,
- कलिंगाय नमः,
- पुराणाय नमः,
- गर्गगौत्रपुरुषाय नमः,
- पंचप्रवरयाय नमः,
- फ़लमूलभक्षयाय नमः,
- कौशिकसुत प्रियाय नमः,
- माधवप्रियाय नमः,
- ईश्वराय नमः,
- गौत्रकाराय नमः,
- पुन्यस्वरूपिने नमः,
- सनातनाय नमः,
- विंध्यरमणाय नमः,
- मुनि श्रेष्ठाय नमः,
- विख्याता नमः,
- धर्मशास्त्रकाराय नमः,
- श्रीनिवासाय नमः,
- पद्मतनुवे नमः,
- अन्नदात्रे नमः,
- दिवानाथाय नमः,
- राधिका प्रियाय नमः,
- पापहत्रे नमः,
- शुभदाय नमः,
- गर्गराटेश्वराय नमः,
- स्फटिकमाला धराय नमः,
- जगत स्वामीने नमः,
- वैदज्ञ नमः, आचार्य नमः,
- त्रिकालदर्शनाय नमः,
- पुण्यात्मनः नमः,
- कष्टहरणाय नमः
महर्षि गर्गाचार्य जी की आरती
ॐ जय गर्गाचार्य, स्वामी जय गर्गाचार्य.. तुमको निशी दिन ध्यावत, पूरण होते कार्य.. स्वामी जय कर के मध्य कमण्डल, दण्ड लिये हाथा.. ध्यान धरे जो तेरा, हो जाए विख्याता.. स्वामी जयभाल त्रिपुण्ड राजत, गल मोतियन माला... शीश जटाएं शोभित, पहने मृग छाला.. स्वामी जयकाम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्वेष हरते.. निज शिष्यो को गुरुवर तुम, सदा प्रेम करते.. स्वामी जयसदा मृदु वाणी कहते, रहते उपवन में... सम भाव सदा ही रखते, गुरुवर जन-जन में .. स्वामी जयतुम करुणा के सागर, दीनो के दाता... सुमिरन करे जो तेरा, सब सिद्ध हो जाता... स्वामी जयकृष्ण अमृत - सागर में डूबे, कुल गुरु तुम देवा... दास हम गर्गवंशी, तेरी करते है सेवा... स्वामी जय
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