नीमाज (Nimaj) पाली जिले का एक प्रमुख कस्बा है । निमाज कस्बे से दो-ढाई किलोमीटर दूर पाली व अजमेर जिले की सरहद के समीप नवीं-दसवीं शताब्दी के पूर्व का ऐतिहासिक मगरमण्डीमाता (Magarmandi Mata) का एक प्राचीन और भव्य मन्दिर स्थित है। यहाँ इनकी बहुत लोकमान्यता है। ज्ञात इतिहास के अनुसार नीमाज रियासतकाल में ऊदावत राठौड़ों (Udawat Rathore) का एक प्रमुख ठिकाना था । नवीं शताब्दी ई. के लगभग बने देवी के इस मन्दिर का बहुत सा भाग भग्न और खण्डित अवस्था में है किन्तु अपने सुन्दर अलंकरण और सजीव और कलात्मक देव प्रतिमाओं के कारण अपने इस रूप में भी बहुत भव्य और आकर्षक लगता है ।
मगरमण्डीमाता मन्दिर में जाने के लिए विशाल चबूतरे पर बनी सीढ़ियों से जाना होता है । बाहरी दीवार पर देवी सरस्वती तथा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ विराजमान है । मन्दिर का शिखर ‘घंटे की आकृति’ में है। गर्भ गृह में मगरमण्डीमाता की काले रंग की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। देवी टेढ़ी मुख मुद्रा में प्रदर्शित है । देवी प्रतिमा की बायीं आँख और चहरे का कुछ भाग खण्डित अवस्था में है।महिषासुर-मर्दिनी को समर्पित यह मंदिर 9-10 वीं शताब्दी की स्थापत्य शैली का प्रतिनिधित्व करता है।
मगरमण्डीमाता का यह मन्दिर शताब्दियों से लोक आस्था का केन्द्र है । नवरात्र आदि अवसरों पर श्रद्धालु विशाल संख्या में देवी के दर्शन कर इच्छित फल पाने की अभिलाषा से मन्दिर परिसर में आते हैं ।
राजा भोज के शासनकाल के इस मंदिर के पुरावशेष नीले गगन तले मात्र ढाई फीट की चारदीवारी में बिखरे पड़े हैं, लेकिन निमाज स्थित ऐतिहासिक मगरमंडी माता मंदिर में बिखरी पड़ी पुरासम्पदा के संरक्षण के लिए कोई योजना नहीं है। पहाड़ी की तलहटी में स्थित इस ऐतिहासिक मंदिर के परिसर को यदि सुधारा जाए तो यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का बेहतरीन केंद्र हो सकता है। लेकिन यहाँ तो मंदिर तक जाने वाला मार्ग भी लंबे समय से बदहाल है।
मगरमंडी माता मंदिर का शिल्प वैभव देलवाड़ा के मंदिर के अनुरूप हैं। मंदिर परिसर की खुदाई में निकली व मंदिर के चारों ओर लगी मूर्तियां खंडित हैं। मुस्लिम आक्रांताओं की क्रूरता का शिकार बने इस मंदिर के गवाह मंदिर व इसके इर्द-गिर्द पड़ी खंडित मूर्तियां हैं। मूर्तियों को कठोर पत्थर से तराशा गया है। जिन्हें देखते ही नजरें उन पर ठहर सी जाती है।
इस मन्दिर का निर्माण किसने करवाया इस बारे में प्रामाणिक जानकारी का अभाव है । मन्दिर निर्माण सम्बन्धी प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र के आदर्शों का सुन्दर ढंग से निर्वाह होने के कारण मगरमण्डीमाता मन्दिर को प्रारम्भिक मध्यकालीन राजस्थान के हिन्दू मन्दिर स्थापत्य के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है ।
Thank You So Much
I’m also from nimaj jay mangarmandi mata ji ki