कर्नाटक ब्राह्मण समाज: परिचय, इतिहास व गोत्र- कुलदेवी | Karnatak Brahmin Samaj History, Gotra- Kuldevi List in Hindi

परिचय

Karnatak Brahmin Samaj in Hindi: कर्नाटक ब्राह्मण समाज भारतीय राज्य कर्नाटक में रहने वाले ब्राह्मणों का एक समुदाय है। वे कर्नाटक के सबसे पुराने समुदायों में से एक हैं और उनका एक समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास है। यह समुदाय विज्ञान, साहित्य, कला और राजनीति समेत विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। इस लेख में, हम कर्नाटक ब्राह्मण समाज के इतिहास, संस्कृति, प्रथाओं, व्यंजनों और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों का पता लगाएंगे।

ब्राह्मणोत्पत्तिमार्तण्ड के अनुसार ”कृष्णानदी के दक्षिण ओर सह्याद्रि पर्वत से पूर्व हिमगोपाल से उत्तर और द्रविड़ के पश्चिम में कर्णाटक देश है। एक समय वहाँ के राजा ने महाराष्ट्र देश से ब्राह्मणों को बुलाकर अपने राज्य में बसाया और उनको अनेक ग्राम दान मे देकर अपने यहाँ दान मान-सम्मान से रखा तथा कावेरी तुंगभद्रा कपिला आदि नदियों के किनारों के वासस्थान देवमंदिर भी उनको दिये, बहुत काल निवास करने और उस देश के आचार विचार स्वीकार करने से उनकी उपाधि कर्णाटकी ब्राह्मण हुई, इनके छः भेद हैं।-

  1. सवासे
  2. षष्टिकुल
  3. व्यासस्वामिमठसेवक
  4. राघवेन्द्रस्वामिमठसेवक
  5. उडपीतुलमठस्वामिसेवक
  6. उत्तरादिमठ सेवक

इनमें उत्तरादिमठ सेवक सर्वश्रेष्ठ हैं, यह शैव और वैष्णव दोनों सम्प्रदायों में होते हैं। इनमें वैष्णव वैष्णवों के साथ और शैव शैवों के साथ खान पान का व्यवहार रखते हैं, सेडपि, तुलव मठस्वामि के सवेकों का विवाह सम्बन्ध अपने वर्ग में होता है, सवासे कर्णाटक और षष्टिकुल कर्णाटक इन दोनों का परस्पर व्यवहार सम्बन्ध होता है; तथा उत्तराधिमठसेवक व्यासस्वामिमठसेवक इनका भी परस्पर विवाह सम्बन्ध होता है। इसमें कर्णकमागोल, कुण्ड, आदि अनेक भेद हैं। देश में प्रमाण “कृष्णाया दक्षिणे तद्वद्द्राविड़ात्पश्चिमोत्तरे । महाराष्ट्रात्पूर्वभागे त्रिलिङ्गाद्दक्षिणे तथा ॥ पश्चिमे किञ्चिदेवैव प्रभूतधनधान्यवान् । देशः कर्णाटिकः प्रोक्तः प्रशस्तः पुण्यकर्मणि ॥”

इतिहास

कर्नाटक ब्राह्मण समाज का इतिहास प्राचीन काल का है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, वैदिक काल में ब्राह्मण उत्तरी भारत से कर्नाटक चले गए थे। समय के साथ, समुदाय ने खुद को इस क्षेत्र में स्थापित किया और कर्नाटक के सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समुदाय ने कन्नड़ भाषा, साहित्य और कला के विकास में योगदान दिया है। उन्होंने धर्म, विज्ञान और राजनीति के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

संस्कृति और परंपराएं

कर्नाटक ब्राह्मण समाज की एक अनूठी संस्कृति और परंपराएं हैं जो उन्हें भारत में अन्य ब्राह्मण समुदायों से अलग करती हैं। उनकी अपनी भाषा है, कन्नड़, जो भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। यह समुदाय संगीत, कला और साहित्य की अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है, और इसने कर्नाटक के सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके पास कर्नाटक और हिंदुस्तानी सहित शास्त्रीय संगीत की एक समृद्ध परंपरा है, और इन संगीत रूपों के विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।

धार्मिक परंपराएं

कर्नाटक ब्राह्मण समाज वैदिक धर्म का पालन करता है और अपने देवताओं की पूजा करने के लिए विस्तृत अनुष्ठान और समारोह करता है। उनके पास अपने देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं, और वे बड़े उत्साह और भक्ति के साथ त्योहार मनाते हैं। वे कर्म, धर्म और मोक्ष की अवधारणा में विश्वास करते हैं, और वे अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों का पालन करते हैं। यह समुदाय वेदों की भाषा संस्कृत में अपनी विद्वता के लिए भी जाना जाता है।

भोजन

कर्नाटक ब्राह्मण समाज का एक अनूठा व्यंजन है जो क्षेत्र की विविध पाक परंपराओं को दर्शाता है। वे स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन बनाने के लिए स्थानीय सामग्री और मसालों के उपयोग के लिए जाने जाते हैं। कुछ लोकप्रिय व्यंजनों में बिसिबेले बाथ, वंगी बाथ, पुलियोगारे और केसरी बाथ शामिल हैं। ये व्यंजन पारंपरिक दक्षिण भारतीय थाली का हिस्सा हैं, जिसमें चावल, दाल, सब्जियां और चटनी शामिल हैं।

प्रसिद्ध व्यक्तित्व

कर्नाटक ब्राह्मण समाज ने कई प्रसिद्ध व्यक्तित्वों का उत्पादन किया है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ उल्लेखनीय हस्तियों में सर एम. विश्वेश्वरैया, एक प्रसिद्ध इंजीनियर और राजनेता, डॉ. राजकुमार, एक प्रसिद्ध अभिनेता और गायक, और यू.आर. अनंतमूर्ति, एक प्रसिद्ध लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने विज्ञान, साहित्य, कला और राजनीति जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अपने संबंधित क्षेत्रों में उनके योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई है।

कर्णाटक ब्राह्मण समाज के गोत्र व कुलदेवियाँ 

यदि आप कर्नाटक ब्राह्मण समाज से हैं तो कृपया Comment Box में अपना गोत्र व कुलदेवी का नाम लिखें। हो सके तो कुलदेवी के मंदिर के स्थान के बारे में भी जरूर बताएं। 

कर्नाटक ब्राह्मण समाज एक ऐसा समुदाय है जिसके पास संस्कृति और परंपरा की समृद्ध विरासत है। उन्होंने कर्नाटक के सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे अपनी अनूठी भाषा, भोजन और प्रथाओं के लिए जाने जाते हैं, और उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यक्तित्व पैदा किए हैं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कर्नाटक समाज में उनका योगदान अतुलनीय है, और वे कर्नाटक संस्कृति और विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने में एक आवश्यक भूमिका निभा रहे हैं। कर्नाटक ब्राह्मण समाज भारत के विविध सांस्कृतिक परिदृश्य का एक अभिन्न अंग है।

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