Nagnechiya Mata Temple History in Hindi : राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी चक्रेश्वरी, राठेश्वरी, नागणेची या नागणेचिया के नाम से प्रसिद्ध है । नागणेचिया माता का मन्दिर राजस्थान में जोधपुर जिले के नागाणा गांव में स्थित है। यह मन्दिर जोधपुर से 96 किमी. की दूरी पर है। प्राचीन ख्यातों और इतिहास ग्रंथों के अनुसार मारवाड़ के राठौड़ राज्य के संस्थापक राव सिन्हा के पौत्र राव धूहड़ (विक्रम संवत 1349-1366) ने सर्वप्रथम इस देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया ।
कर्नाटक से लाई गई थी नागणेची माता की प्रतिमा
राजा राव धूहड़ दक्षिण के कोंकण (कर्नाटक) में जाकर अपनी कुलदेवी चक्रेश्वरी की मूर्ति लाये और उसे पचपदरा से करीब 7 मील पर नागाणा गाँव में स्थापित की, जिससे वह देवी नागणेची नाम से प्रसिद्ध हुई। नमक के लिए विख्यात पचपदरा बाड़मेर जोधपुर सड़क का मध्यवर्ती स्थान है जिसके पास (7 कि.मी.) नागाणा में देवी मंदिर स्थित है।
जोधपुर में नहीं किया जाता था नीम की लकड़ी का प्रयोग
अष्टादश भुजाओं वाली नागणेची महिषमर्दिनी का स्वरुप है। बाज या चील उनका प्रतीक चिह्न है,जो मारवाड़ (जोधपुर),बीकानेर तथा किशनगढ़ रियासत के झंडों पर देखा जा सकता है। नागणेची देवी जोधपुर राज्य की कुलदेवी थी। चूंकि इस देवी का निवास स्थान नीम के वृक्ष के नीचे माना जाता था अतः जोधपुर में नीम के वृक्ष का आदर किया जाता था और उसकी लकड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता था।
नागणेचिया माता मन्दिर का प्रचलित इतिहास
एक बार बचपन में राव धुहड जी ननिहाल गए। वहां उन्होने अपने मामा का बहुत बडा पेट देखा । बेडोल पेट देखकर वे अपनी हँसी रोक नही पाएं और जोर जोर से हँसने लगे। इस पर उनके मामा को गुस्सा आ गया और उन्होने राव धुहडजी से कहा की सुन भानजे ! तुम तो मेरा बडा पेट देखकर हँस रहे हो, किन्तु तुम्हारे परिवार को बिना कुलदेवी देखकर सारी दुनिया हंसती है। तुम्हारे दादाजी तो कुलदेवी की मूर्ति भी साथ लेकर नही आ सके, तभी तो तुम्हारा कही स्थाई ठोड-ठिकाना नही बन पा रहा है।
मामा के वचन चुभ गए
मामा के ये कड़वे परंतु सच्चे बोल राव धुहडजी के ह्रदय में चुभ गये। उन्होने उसी समय मन ही मन निश्चय किया कि मैं अपनी कूलदेवी की मूर्ति अवश्य लाऊंगा। वे अपने पिताजी राव आस्थानजी के पास खेड लोट आए। किन्तु बालक धुहडजी को यह पता नही था कि कुलदेवी कौन है ? उनकी मूर्ति कहा है ?और वह कैसे लाई जा सकती है ? उन्होनें तपस्या कर देवी को प्रसन्न करने का निश्चय किया।
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एक दिन बालक राव धुहडजी चुपचाप घर से निकल गये और जंगल मे जा पहुंचे । वहाँ अन्नजल त्याग कर तपस्या करने लगे। बालहठ के कारण आखिर देवी का ह्रदय पसीजा । देवी प्रकट हुई । तब बालक राव धुहडजी ने देवी को आप बीती बताकर कहा की हे माता ! मेरी कुलदेवी कौन है ।और उनकी मूर्ति कहाँ है ? वह केसे लाई जा सकती है ? देवी ने स्नेह पूर्वक उनसे कहा की सून बालक ! तुम्हारी कुलदेवी का नाम चक्रेश्वरी है ।और उनकी मूर्ति कन्नौज मे है ।तुम अभी छोटे हो ,बडे होने पर जा पाओगें। तुम्हे प्रतीक्षा करनी होगी ।
धूहड़जी गये कुलदेवी को लाने, पक्षी के रूप में आई माता
कालांतर में राव आस्थानजी का स्वर्गवास हुआ । और राव धुहडजी खेड के शासक बनें । तब एक दिन राजपूरोहित पीथडजी को साथ लेकर राव धूहडजी कन्नौज रवाना हुए। कन्नौज में उन्हें गुरू लुंम्ब ऋषि मिले । उन्होंने धूहड़जी को माता चक्रेश्वरी की मूर्ति के दर्शन कराएं और कहा कि यही तुम्हारी कुलदेवी है । इसे तुम अपने साथ ले जा सकते हो ।
जब राव धुहडजी ने कुलदेवी की मूर्ति को विधिवत् साथ लेने का उपक्रम किया तो अचानक कुलदेवी की वाणी गुंजी – ठहरो पुत्र ! मैं ऐसे तुम्हारे साथ नही चलूंगी। मैं पंखिनी ( पक्षिनी ) के रूप में तुम्हारे साथ चलूंगी। तब राव धुहडजी ने कहा हे माँ मुझे विश्वास कैसे होगा कि आप मेरे साथ चल रही है । तब माँ कुलदेवी ने कहा जब तक तुम्हें पंखिणी के रूप में तुम्हारे साथ चलती दिखूं तुम यह समझना की तुम्हारी कुलदेवी तुम्हारे साथ है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे , बीच में कही रूकना मत ।
जब रास्ते में ठहर गए धूहड़जी
राव धुहडजी ने कुलदेवी का आदेश मान कर वैसे ही किया ।राव धुहडजी कन्नौज से रवाना होकर नागाणा ( आत्मरक्षा ) पर्वत के पास पहुंचते पहुंचते थक चुके थे । तब विश्राम के लिए एक नीम के नीचे तनिक रूके । अत्यधिक थकावट के कारण उन्हें वहा नीदं आ गई । जब आँख खुली तो देखा की पंखिनी नीम वृक्ष पर बैठी है ।
राव धुहडजी हडबडाकर उठें और आगे चलने को तैयार हुए तो कुलदेवी बोली पुत्र , मैनें पहले ही कहा था कि जहां तुम रूकोगें वही मैं भी रूक जाऊंगी और फिर आगे नही चलूंगी ।अब मैं आगे नही चलूंगी ।
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तब राव धूहडजी ने कहा की हें माँ अब मेरे लिए क्या आदेश है । कुलदेवी बोली कि कल सुबह सवा प्रहर दिन चढने से पहले – पहले अपना घोडा जहाॅ तक संभव हो वहा तक घुमाना यही क्षैत्र अब मेरा ओरण होगा और यहां मै मूर्ति रूप में प्रकट होऊंगी। परंतु एक बात का ध्यान रहे, मैं जब प्रकट होऊंगी तब तुम ग्वालिये से कह देना कि वह गायों को हाक न करे , अन्यथा मेरी मूर्ति प्रकट होते होते रूक जाएगी ।
कमर तक ठहर गई प्रतिमा
अगले दिन सुबह जल्दी उठकर राव धुहडजी ने माता के कहने के अनुसार अपना घोडा चारों दिशाओं में दौडाया और वहां के ग्वालिये से कहा की गायों को रोकने के लिए आवाज मत करना , चुप रहना , तुम्हारी गाये जहां भी जाएगी ,मै वहां से लाकर दूंगा । कुछ ही समय बाद अचानक पर्वत पर जोरदार गर्जना होने लगी , बिजलियां चमकने लगी। इसके साथ ही भूमि से कुलदेवी की मूर्ति प्रकट होने लगी । डर के मारे ग्वालिये की गाय इधर – उधर भागने लगी। तभी स्वभाव वश ग्वालिये के मुह से गायों को रोकने के लिए हाक की आवाज निकल गई । बस, ग्वालिये के मुह से आवाज निकलनी थी की प्रकट होती होती प्रतिमा वहीं थम गई ।
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केवल कटि तक ही भूमि से मूर्ति बाहर आ सकी। राव धुहडजी ने होनी को नमस्कार किया और उसी अर्ध प्रकट मूर्ति के लिए सन् 1305, माघ वदी दशम सवत् 1362 ई. में मन्दिर का निर्माण करवाया ,क्योकि ” चक्रेश्वरी ” नागाणा में मूर्ति रूप में प्रकटी , अतः वह चारों और ” नागणेची ” रूप में प्रसिद्ध हुई । इस प्रकार मारवाड में राठौडों की कुलदेवी नागणेची कहलाई ।
अठारह भुजायुक्त नागणेची माता के नागाणा स्थित इस मन्दिर में माघ शुक्ल सप्तमी और भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को प्रतिवर्ष मेला लगता है। और लापसी, खाजा का भोग लगता है। सप्त धागों को कुंकुम रंजित कर माता का प्रसाद मानकर सभी राखी बांधते हैं।
श्री नागणेची माता के मन्दिर जालोर, जोधपुर, बीकानेर आदि के किलों में भी है। यहाँ के राठौड़ राजाओं ने अपनी कुलदेवी के मन्दिर अपने-अपने किलों में बनवाये ताकि प्रतिदिन भक्ति-भाव से पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त कर सके।
बीकानेर में नागणेचीजी का मंदिर
बीकानेर में नागणेचीजी का मंदिर शहर से लगभग 2 की.मी. दक्षिण पूर्व में अवस्थित है। देवी का यह मंदिर एक विशाल और ऊँचे चबूतरे पर बना है, जिसके भीतर अष्टादश भुजाओं वाली नागणेचीजी की चाँदी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। नागणेचीजी की यह प्रतिमा बीकानेर राज्य के संस्थापक राव बीका अन्य राजचिन्हों के साथ अपने पैतृक राज्य जोधपुर से यहाँ लाये थे। नागणेचीजी बीकानेर और उाके आस पास के क्षेत्र में भी सर्वत्र वंदित और पूजित हैं। नवरात्र और दशहरे के अवसर पर अपार जनसमूह देवी के दर्शनार्थ मंदिर में आते हैं।
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नोट:- यदि आप नागणेचिया माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया Comment Box में अपना समाज व गोत्र लिखे
Rao gotra Rathore
जय नागणेचिया माता री
रणबंका राठौड़
Rathod vansh ki sati mata kha hai…konse mata h koi bta de agr mante h pta h kisi ko toh ..
Jai Mata nagnechiya I Madansingh Rathod
Sirvi samaj barfa
Join,golecha
नागणेची माताजी, हमारी भी कुलदेवी कहलाती हैं।
मेरा नाम गौरव जोशी हैं और मैं गुर्जर गौड़ ब्राह्मण हूँ। हमारी गौत्र गालरिया जोशी हैं और हमारी वंशोत्पत्ति में दो कुलदेवी बताई गई है, एक है नागणेची माताजी और एक है आशापुरा माताजी।
कृपया आप और अधिक एवं सही जानकारी प्रदान करे।
ok i m try
वंशावली के अनुसार दो कुलदेवी बताई गई है जिसमें पहली मां आशापुरा और नागण हमारी कुलदेवी मां आशापुरा है और
गोत्र शांडिल्य
वेद यजुर्वेद
उपाधि जोशी आचार्य
choudhary bhuriya rathod
हम भी नागणेची माता को ही कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। मेरी जाती चरण बारहट है औरचुम रोहड़ियां बाथोआटो की गूंगा शाखा के बारहट है । हम बारहट cand bhati ke वंशज है । जबरदस्ती चरण करे जाने पर हम रोहडिया बारहट बने । भाटी होने के कारण वे कुलदेवी भादरिया राय को याद करता है और मां दर्शन देकर बोलती है की तू चरण बन जा । तब उसने पूछा की मेरी कुलदेवी कोन होगी? I तो मां ने उत्तर दिया की सामने जो चीज पहले दिखे वो कुलदेवी । वो खिड़की के बाजार देखता है तो दिखता है की एक नीम के पेड़ के नीचे नाग बैठा है , तो मां बोलती है की तेरी कुलदेवी नागणेची माता है ।
इस प्रकार हम रोहडिया बरहटो की कुलदेवी भी नागणेची माता ही है । जय मां नागाणा राय
jay shree nagncei mata ji babu choudhay mera Rathor vanch he hemare purvaj ma aaimata ko he kuldeve mante aye he liken yha bate stya he ke ma aai ke ashim kurpa hamre uper rhai he ager ham hamare ma nagnche mata ka pugen karegi to ore kurpa ho jyegi jay ma nagnche mata
हमारी कूलदेवी श्री नागणेची माता ( गुजरात मे नागणेश्वरी माता) है।नागणाधाम राजस्थान
समाज- राजपूत समाज
गोत्र- गोतम
Jaypushpraj singh Rathore
Kshtriya
Medtiya Rathore
Gautam
गोत्र :-राठौड़
समाज :-राजपूत
ठिकाना :-निछमा
जिला:-शाजापुर म.प्र.
JAY MAA NAGANARAY KULDEVI MA.. MA KI ASHIM KRIPA HAI HUM SAB KE UPER SDA HAI OR BANI RAHE. ME MUMBAI ME VYAVSAYRAT HU LEKIN JAB BHI RAJSHTHAN AATA HU SAL ME 3-4 BAR US TIME MAA KE DARSHAN KA LABH JARUR MILTA HAI.
JO BHI BHAKAT MA KO SACCHE DIL SE KAMNA KARTA HAI MAA UNKI KAMNA JARUR PURN KARTI HAI..
दिलीप कुमार बुनकर मु़०पो० डडूका त०गढी जिला बांसवाड़ा राजस्थान जय नागेश्वरी मॉ
Jai meri naagnecha mata Tera Laakh Laakh Koti koti dhanyawad Apna aasheerwad hamesha mere AUR mere parivar par banaye rakhna.
Jodha RATHORE
WE BELIVE IN MATA BUT NOT ANY POOJA, WE DO PARATHNA AND EVERY DAY PRAY TO MAA
PARAKH
JAIN
gotra – Raghunathsingot
medtiya rathore
ठिकाणा पलाडा़ ( नागौर )
Mera nam Naresh Saini hai m Nohar haumangarh rajasthan se hu. Meri gotr Khadoliya (Saini) hai. Or bahibatt ke anusar Hamari kuldevi nagan mata hai.
Comment *Jay kuldevi maa
samal Suthar
gotar chhidia
pradeep singh rathore
medthia, gotra – gottam
maan bhadayo ranmala kulkar kirtwant,
naman thane nagnechiya rathora rajwant:
क्षत्रिय , चम्पावत
राव समाज गोत्र राठौड़
जाट समाज गोत्र कङवासरा
Hamare gotra ki kuldevi maa nagnechiya hai ham rajput senghal rathore gotra hai
Akash verma
Gotra- khaliya chouhan
शेषाराम लखमाजी सीरवी गोत्र वर्फा
सुरेश पुखराजजी सीरवी। गोत्र वर्फा
प्रकाश शेषाराम सीरवी गोत्र वर्फा
रमेश। शेषाराम सीरवी गोत्र वर्फा
जतिन सरेश। सीरवी। गोत्र वर्फा
तारीख 21/4/2018 को प्राण प्रतिष्ठा एवँ मूर्ति स्थापना के शुभ अवसर पर अखँड ज्योति एवँ आप सभी आमन्त्रित।
मे गुजरात में रहता हूँ मेरे घर पर दोनु समय माँ नागणेची जी की पूजा अर्चना होती है मुझे माता नागणेची जी पर बहुत ही आस्था है मेने लगभग 2011 में माँ का दर्शन करने के लिये मेरे 2 बचूं को और मेरी धर्म पत्नी के साथ माता के दर्शन करने के लिए आया था नागाणा मुझे बहुत सन्ति मिली माँ के दर्शन करके जय हो माँ नागणेच्या माता नागाणा वाली मेरी कुल देवी जय हो
Aaj ma ke darbar me sapariwar hajir hone ka moka mila. Ma ki kripa hum sab par bani rahe. Jai ma nagnecha.
Meri gotra rathore he hum Maru bhambi (bunker) samaj see he Kya hamare ravji or kuldevi ke bare me jankari chahiye Kya koi help kar sakta he
Ghanchi Samaj
Rathore Gotra
जय कुलदेवी माँ नागाणा राय जी की…हुक्म मुझे आपसे एक बात पुछनी है कि हमारी कुलदेवी नागणेची माता की पुजा से पहले भैरु जी की पुजा क्यो की जाती है इसका पुर्ण जानकारी देने का कष्ट करे हुक्म
Mera Lucky vachhani hai. Main Rajkot Gujrat se hun. Muje kuch dino pehale hi malum pada ke karib 950 saal pehle hamare purvaj jab gujrat aaye use pehle hum rajsthan se the or tab ham nageshwari mata ko kuldevi mata k rup me pujte the. Jay maa nageshwari
Rathore vans gotra Goutum
जय माँ नागाणाराय
Jai MA kuldevi
Hakhe singh medtiya
Me soni cast se hu goutra rathore h.
जय श्री नागणेची माता
में राम विजयवर्गीय(मुणिया)(वैश्य) रूपाहेली (भीलवाड़ा)से हु। मुझे समाज के इतिहास से पता चला है कि हमारी गौत्र की कुलदेवी भी नागणेची माता(नागण माता) है और ढोसरी माता है
अतः आप मुझे और अधिक एवं सही जानकारी प्रदान करे।
Ram Vijayvargiya
Shree Ram Food Product (Icecream & Kulfi Manufacturer)
Bhilwara (Rajasthan)311001
M.No. :- +91 9660840539
।जय माता दी। मुकेश कुमार सैनी, मे जयपुर का रहने वाला हू, सैनी (खडोलीया), गोत्र से हू, नागणेची माता हमारी भी कुल देवी हैं।
Yh hmari kuldevi h
Jay shri nagneshvari mataji
Me vanzara ramaji gujrat se hu hamari kuldevi bhi nagneshvari mataji he
mere uper maa kuldevi ka sada aashirwad rhe i dream is join indian army maa ke naam
Devendra Singh mahecha Rathore
Jay Nagneshvari Mata G
Me Jeengar samaj se Rathore
राव आसथान जी के पुत्र धांधल जी थे और धांधल जी के पुत्र पाबु जी महाराज थे ।पाबु जी महाराज और काल भैरव हमारे देवता है।कुल देवी से मे परिचित नही था मालुम नहीं था ।बुजुर्गों से सुना की हमारे यहा लापसी का भोग लगाया जाता था ।तो मुझे बहुत खुशी हुई ये जानकर की नागणेची माता हमारी कुल देवी हे और यही काल भैरव के साथ हमारे पुजी जाती हे। मेरा नाम सुरेन्द्र धांधल है और मे सैन जाति से हूँ ।सिरसा हरियाणा से हूँ ।जय माता नागणेची री।
Munot
जय कुलदेवी श्री मां जगदम्बा नागणेच्या हमारी कुलदेवी श्री नागणेच्या माता है मैं लालसिंह सेधल राठौर
जय मातादी, जय माँ नागणेची,
में नामदेव दर्जी समाज राजस्थान भीलवाड़ा जाति दर्जी गोत्र छापरवाल से हु ओर नागणेची माँ हमारी भी कुलदेवी है।
कुलदेवी माँ नागणेचिया जी की जय हो गोत्र राखेचा राठौड़
जय श्री नागणेशी माता जी
नारायण भूरिया (कलबी) राठौर
Rathore, Narnot
जय मां नागाणा राय
ऊंड राठौड़
Jai Singh Rathore (Mertiya)
Gotra (Govinda Das)
बणीरोत राठौर
चूरू
हमारी कुलदेवी है नागणेची माता
Jitendra Singh rathore mri kuldevi ma nagnecha mata h
Jay mata di
नागणेची माता हम रोहडिया बाहरटो की भी कुलदेवी मानी जाती है और दूसरी कुलदेवी सुंधा माता चामुंडा जीको मानते है । क्या आप हमारी सही कुलदेवी का पता लगा सकते है क्या ??
में राठौड़ हूं हमारा बिरुद रणबंका है।
मेरा नाम भूपेंद्र राठौर है, और मेरा गोत्र बेतेरिया है मैं ललितपुर यूपी में रहता हूँ
मुझे हमारी कुलदेवी की जानकारी नहीं है,क्या कोई बताता है और इस गोत्र की कुलदेवी कौन है और कहाँ स्थित है
मेरा नाम प्रताप सीरवी है
मेरा गौत्र बर्फ़ा है और मेरी कुलदेवी माँ नागाणा वाली नागनेची माता है
कर्नाटक या कनौज ?
असमंजस है ।
कैलाश राजपुरोहित
गोत्र सोढ़ा
कुलदेवी नागणेची माता
तहसील सिवाना
जिला बाड़मेर
Me Paldi ranawata se hu
Or rathore hu
Hamare yha नागणेची माता जी का मंदिर h
Lekin muze iski स्थपना ke bare me kuch nhi pta
Plzz muzhe palri ranawata me is rahsy ko batane ki kosis kre
Mukeshsinh .hathisinh..rathod..jay..nagnesawri..to..m0yad..di..himatnagar
जय मां नागनेच्च
मेड़तिया राठौड़
Hm jharkhnd se or hmny v maa ko dil se mana hai bht hm unki pooja karty hai or hamry ghr ki kul deavi hai mata nageswari.mujhy mainy rajasthan k Mansa devi mandir mai manat rakhi hai Mant pura hony pr hm maa k darshn ko aaengy .
जय मां नागेश्वरी
जाति सिद्ध है लेकिन कुल ओर वंश सु
में राजपुरोहित (सोढ़ा) हू और हमारी कुलदेवी नागणेची मां हे।
जय मां नागणेची
मेरी गौत्र हरडू जाति जाट गांव छीला जिला नागौर। नख दहिया मेरी कुलदेवी नागणेच्या माता
Dhadhal
Ranbanka Rathod