Swangiya Mata / Aavad Mata History in Hindi : देवी स्वांगिया का इतिहास बहुत पुराना है। भगवती आवड़ के पूर्वज सिन्ध में निवास करने वाले सउवा शाखा के चारण थे जो गायें पालते और घी व घोडों का व्यापार करते थे। मांड प्रदेश के चेलक गांव में चेला नामक एक चारण आकर रहा। उसके वंश में मामड़िया चारण हुआ जिसने संतानप्राप्ति के लिए सात बार हिंगलाजमाताधाम की यात्रा की तब सम्वत् 808 में सात कन्याओं के रूप में देवी हिंगलाज ने मामड़िया के घर में जन्म लिया। इनमें बडी कन्या का नाम आवड़ रखा गया। आवड़ की अन्य बहिनों के नाम आशी, सेसी, गेहली, हुली, रूपां और लांगदे था। अकाल पडने पर ये कन्याएँ अपने माता-पिता के साथ सिन्ध में जाकर हाकड़ा नदी के किनारे पर रहीं। पहले इन कन्याओं ने सूत कातने का कर्म किया। इसलिए ये कल्याणी देवी कहलाई। फिर आवड़ देवी की पावन यात्रा और जनकल्याण की अद्भुत घटनाओं के साथ ही क्रमशः सात मन्दिरों का निर्माण हुआ और समग्र मांड प्रदेश में आवड माता के प्रति लोगों की आस्था बढती गई।
स्वांगिया या आवड़ माता के ये सात मन्दिर निम्नलिखित हैं –
- तनोट माता मन्दिर, जहाँ पाकिस्तान के गिराए 300 बम भी हुए बेअसर >>Click here
- घंटियाली माता (जैसलमेर) – पाकिस्तानी सैनिकों को माँ ने दिया मृत्यु-दण्ड>>Click here
- श्री देगराय मन्दिर (जैसलमेर)- यहां रात को सुनाई देती है नगाड़ों की आवाजें>>Click here
- भादरियाराय का मन्दिर>>Click here
- श्री तेमड़ेराय>>Click here
- स्वांगिया माता गजरूप सागर मन्दिर>>Click here
- श्री काले डूंगरराय मन्दिर>>Click here
कुमावत समाज के मारवाल गौत्र की कुलदेवी के बारे में बताओ करपया
Nicely explain
Kumawat samaj me Limma pariwar ki kuldevi kon he
आपके बड़े बुजुर्गों से पूछो कि आपके गोत्र का नख क्या है वो राजपूतों के किसी एक जाति से मिलता होगा जैसे चौहान, राठौर, bhati etc. उस आधार पर उनकी जो कुलदेवी होगी वो आपकी भी कुलदेवी होगी
मेरी गोत्र भाटी है
Sir Jin mata ke gito ko bhi chirja kahte h or savangiya mata me sat Charan Devi ki stuti bhi chirja kahlati h dono me phark kya h