रायमाता का मन्दिर राजस्थान के झुंझुनू जिले में बिसाऊ तहसील से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर गांगियासर नामक गाँव में स्थित है। प्रवासी एवं स्थानीय भक्तों का यह उपासना केन्द्र चमत्कारी देवी के रूप में विख्यात है। गांगियासर ग्राम की देवी रायमाता के प्रकटीकरण का इतिहास भी चमत्कारी व रोचक है।
रायमाता का इतिहास व कथा
रायमाता की प्राकट्य कथा –
कहा जाता है कि लगभग 300 वर्ष पूर्व गांगियासर गाँव के दक्षिणी भाग में स्थित एक ऊँचे टीले पर सेवापुरीजी नामक साधु तपस्यारत थे। एक दिन अचानक जोरों का भूकम्प आया। देखते ही देखते जमीन में से दस अंगुल जितनी बड़ी श्री दुर्गा माता की प्रतिमा प्रकट हुई। उस समय आकाशवाणी हुई कि ” मैं रायमाता हूँ और तुम मेरी आराधना करो। जब यह समाचार इस गांव तथा आस-पास के अन्य गांवों के लोगों तक पहुँची तो लोग देवी की मूर्ति के दर्शन के लिए आने लगे। उसी समय साधु बाबा सेवापुरीजी की भी तपस्या पूर्ण हो गई। गांव के तत्कालीन शासक देवदत्तजी को देवी प्रतिमा के प्रकट होने की सूचना मिली तो उन्होंने यहाँ मन्दिर बनवा दिया बाद में गांव के ही कानोडिया परिवार ने मन्दिर को विस्तार दिया।
रायमाता के चमत्कार –
कहा जाता है कि गांगियासर की रायमाता बड़ी ही लोकप्रिय और कलियुग की चमत्कारी देवी के रूप में प्रसिद्ध हुई है। लोक में रायमाता की कुछ चमत्कार-कथाएं प्रसिद्ध हैं।
मन्दिर का प्रथम यह चमत्कार प्रसिद्ध है कि एक बार इस गांव में एक चोर ने किसी ग्रामीण के एक बैल को चुरा लिया। बैल के मालिक को पता चला कि चोर बैल के साथ मन्दिर के पास टिका हुआ है। वह अपने साथ ग्रामवासियों को लेकर चोर को पकड़ने के लिए मन्दिर की ओर चल पड़ा। चोर बैल को मन्दिर के पास एक पेड़ से बांधकर मन्दिर में जाकर माता की आराधना व दया की प्रार्थना करने लगा। चोर की करुण पुकार सुनकर करुणामयी देवी ने बैल को गाय के रूप में परिवर्तित कर दिया। जब ग्रामवासियों ने गाय को देखा तो वे वापस लौट गए। चोर भी गाय को छोड़कर वहां से चला गया। तब से यह कहावत प्रचलित हो गई ” जय जननी मातेश्वरी गांगियासर की राय, भक्तजन संकट हरो, करी बैल से गाय”।
एक अन्य चमत्कार के अनुसार गाँव में मीर खाँ पठान बहुत लूटपाट करता था। वह कालान्तर में टोंक का नवाब बना था। एक बार वह लूट के लिए गाँव में आया और उसकी फौज ने पूरे गांव को घेर लिया। ग्रामीण भयभीत होकर सेवापुरी महाराज के पास गए। महाराज ने ग्रामीणों को फौज का मुकाबला करने की प्रेरणा दी और आश्वस्त किया की जीत तुम्हारी ही होगी। जब युद्ध शुरू हुआ तो लूटेरों ने तोप से तीन गोले बरसाये लेकिन अचानक तोपें रुक गईं। ग्रामीणों ने लूटेरों का डटकर मुकाबला किया। रायमाता की कृपा से लूटेरों के पाँव उखड़ गए और मीर खाँ अपने प्राण बचाकर वहां से भाग गया।
इसी प्रकार एक साधु ने माताजी के चमत्कारों के बारे में सुनकर माताजी की परीक्षा लेनी चाही। वह चोर के भेष में संवत 1968 में चूरू से चलकर आया। उसने रात को मन्दिर में घुसकर प्रतिमा के आभूषण चुरा लिए। किन्तु जैसे ही वह बाहर आया, वह रास्ता भूल गया। उसने जेवरों को जमीन में गाड़ दिया और छिपने के प्रयास में एक झाड़ी में फंस गया। सुबह ग्रामीणों ने उसे पकड़ लिया तब उसने आभूषणों के बारे में भी बता दिया।
रायमाता के मन्दिर में प्रतिवर्ष अश्विनी नवरात्रों में विशाल मेले का आयोजन होता है। इस धाम में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु माता के दर्शनार्थ आते हैं।
श्री रायमाता मन्दिर के कुछ चित्र –
कैसे पहुंचें ? (How to reach Rai Mata temple Gangiasar?)
यह गांव झुंझुनू से लगभग 35 किलोमीटर तथा तहसील बिसाऊ से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सीकर की तरफ से आने वाले श्रद्धालु लक्ष्मणगढ़ – फतेहपुर – रामगढ़ शेखावाटी से बिसाऊ होते हुए गांगियासर आ सकते हैं।
Sanjay ji doing good,. Great work, thanks a lot, I am subhash banka
Thanks Subhash ji
nice
gangiyasar nice
payal
nice
Raimata ka Gangiasar me dham , hamesha amar rahega naam.
But please also add the pic of raimata aarti here along with other photos.
I want to say about this tample is this very nice tample and it is such a miracle in our village i will be proud for my village I am belong gangiyasar village I love my village and my schools our filds our people and most like for dance gindad In holi faction …….thanks