Riktya Bhairu Temple Malasi History in Hindi : मालासी भैरव (रिक्त्या भैरव ) का मन्दिर राजस्थान में चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के मालासी गांव में स्थित है। रिक्त्या भैरु को स्थान के नाम से मालासी भैरु भी कहा जाता है जो लोक में अधिक प्रसिद्ध है। रिक्त्या भैरु की राजस्थान के चूरू, बीकानेर, झुंझुनू, सीकर तथा जयपुर जिले में विशेष मान्यता है, जहाँ से श्रद्धालु यहाँ माथा टेकने आते हैं। सालासर के प्रसिद्ध बालाजी मन्दिर से मालासी की दूरी 15 किलोमीटर है।
मालासी गांव रिक्त्या भैरु का ससुराल है। इनका अन्य प्रसिद्ध मन्दिर इनके जन्मस्थान झुंझुनू जिले के नवलगढ़ तहसील में स्थित खिरोड़ नामक गांव में भी है। इनके अलावा जोधपुर आदि कई स्थानों पर भी रिक्त्या भैरु के उपासकों ने उनके मन्दिर तथा देवरे स्थापित किये हैं।
रिक्त्या भैरु का इतिहास –
खिरोड़ के रिक्ताराम जाट का विवाह मालासी के मालाराम दहिया जाट की बेटी से हुआ था। कहा जाता है कि यह गांव मालाराम ने ही बसाया था और उन्हीं के नाम से इसका नाम मालासी प्रसिद्ध हुआ। रिक्ताराम का स्वभाव हंसमुख तथा व्यवहारशील था। एक बार वे अपनी पत्नी को लेने ससुराल आए हुए थे। शाम को परिवार की महिलायें गीत गाने लगीं। रिक्ताराम के सालों और सालियों को एक मजाक सूझी। वे रिक्ताराम को लेकर गांव के कुएं पर गए और उन्हें कुएं में उल्टा लटका दिया। इस मजाक में रिक्ताराम उनके हाथों से छूट गए और वे कुएं में जा गिरे। इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गई। गांव के लोगों ने इकठ्ठा होकर सर्वसम्मति से फैसला किया कि रिक्ताराम प्रेम के प्रतीक के रूप में कुरबान हुए हैं अतः उनको लोकदेवता के रूप में पूजा जायेगा। तभी से रिक्ताराम जाट को भैरूंजी महाराज के रूप में पूजा जाने लगा। स्थानीय लोग अपने बच्चों का मुंडन करके बाल चढाने लगे और नव वर-वधु अपने सुखी दाम्पत्य जीवन की मन में कामना लिए इस भैरूंजी को धोक लगाने के लिए आने लगे। और धीरे-धीरे श्रद्धालुओं का ये दायरा बढ़ने लगा।
कुँए पर उलटी लगी है प्रतिमा
यहां कुएं पर उनका मंदिर बना हुआ है। चूँकि रिक्ताराम की मृत्यु कुँए में उल्टा लटकाने से हुई थी, इसलिए कुँए में ही उसकी उलटी प्रतिमा लगाईं गई और कुँए में ही उसे पूजा जाने लगा। आज से कई वर्ष पहले तक श्रद्धालु इस कुँए में झुककर भैरूं की पूजा करते और प्रसाद आदि चढाते थे। पर अब श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा होने के कारण सुरक्षा के लिहाज से कुँए को बंद कर उसके ऊपर मंदिर बना दिया गया है। जहाँ कुआँ था उसी के ऊपर एक शिला रूपी प्रतिमा पर अब लोग प्रसाद व बच्चों के जडूले के बाल चढाते है।
मान्यता के मंदिर
रिक्त्या भैरु के उपासकों के एक वर्ग में मालासी के मन्दिर की मान्यता है तो अन्य में इनके जन्मस्थान खिरोड़ के मन्दिर की मान्यता है। लेकिन, दोनों ही धामों में चैत्र और अश्विन नवरात्रों तथा अन्य विशेष अवसरों पर विशाल मेला भरता है। मान्यता के अनुसार यहां हर महीने शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन काफी श्रद्धालु आते हैं। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, आसाम, मध्य प्रदेश, गुजरात से भी श्रद्धालु आते हैं। रिक्त्या भैरुँ के वंशज आज भी खिरोड़ में रहते हैं।
राजपूत परिवार है पुजारी
इस मंदिर के पुजारी राजपूत परिवार से हैं। चूँकि जिस कुँए में गिरकर रिक्ताराम जाट की मृत्यु हुई थी वो कुआं इसी राजपूत परिवार का था इसलिए बाद में इसी परिवार ने यहाँ की पूजा अर्चना करने का दायित्व भी ले लिया। जब श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ती गई जाट समाज के लोगों ने इस कुँए और मंदिर को अधिकार में लेने का प्रयास भी किया था और तब इसके लिए झगड़ा हो गया था जिसमें कुछ लोगों की मौत भी हो गई थी। तब से यहाँ निरंतर पुलिस का पहरा रहता है।
कैसे पहुंचें ? (How to reach Malasi Bhairu Temple ?)
चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के प्रसिद्ध गांव सालासर से मालासी गांव तक पक्की सड़क बनी हुई है। सालासर से इसकी दूरी 15 किलोमीटर है। रिक्त्या भैरव का मन्दिर गांव में प्रवेश करते ही चौक में स्थित है।
Malasi Village Map –
Open kab hoga temple plz Inform 8209072283
सर कल जात लगेगी क्या
Sunday 23 अगस्त को मंदिर खुला रहेगा क्या प्लीज कोई no दो
Malase bharav ka mandir khula hai ya band hai, please koi bhai batana ji. ph. 9992525556
Malasi bhairov baba ka mandir kab open hoga plz plz koi to batao
Sunday ko mandir khula h kya malasi ke pujari ke koi contect no. Mill sakte h kya
Kl Sunday ko mandir ka darbar khula rhega kya sir
M kal aa sakti hu kya kal mere baby ka jadula utran