हरी ॐ श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो
ऐसी अदभुत रूप ह्रदय धर लीजो
शताक्षी दयालु की आरती कीजो
तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ, सब घट तुम आप बखानी माँ
शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो
तुम्ही हो शाकुम्भर, तुम ही हो सताक्षी माँ
शिवमूर्ति माया प्रकाशी माँ,
शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो
नित जो नर – नारी अम्बे आरती गावे माँ
इच्छा पूर्ण कीजो, शाकुम्भर दर्शन पावे माँ
शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो
जो नर आरती पढ़े पढावे माँ, जो नर आरती सुनावे माँ
बस बैकुंठ शाकुम्भर दर्शन पावे
शाकुम्भरी अंबा जी की आरती कीजो
Shakambhari Mata Aarti 2
जय शाकम्भरी माता ,मैया जय शाकम्भरी माता ,
तुमको जो भी ध्याता ,सब संपत्ति पा जाता .
जय शाकम्भरी माता ,मैया जय शाकम्भरी माता .
धरती सूखी ,अम्बर सूखा तब आई तुम माता ,
क्षुधा मिटाई,प्यास बुझाई,बनकर जीवन दाता.
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता ,
भक्तों की दुःख हर्ता,सुख सम्पति की दाता.
माता जी की आरती जो नर नारी गावें ,
सारे इच्छित फल वो पल भर में पा जावें .
जय शाकम्भरी माता ,मैया जय शाकम्भरी माता ,
तुमको जो भी ध्याता ,सब संपत्ति पा जाता .