Akshaya Tritiya Shubh Muhurt 2020: भारतवर्ष में सभी शुभ कार्य शुभ मुहूर्त में ही किये जाने की परम्परा है। इनमें वर्ष में साढ़े तीन मुहूर्त ऐसे भी आते हैं जो स्वयं सिद्ध शुभ मुहूर्त होते हैं यानि इन मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य बिना किसी दुविधा के सिद्ध किये जा सकते हैं ये साढ़े तीन शुभ मुहूर्त ये हैं –
- चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात् गुड़ी पड़वा (हिन्दू नववर्ष)
- विजयादशमी (दशहरा)
- अक्षय तृतीया (अखातीज)
- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का आधा भाग
इन सभी स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में अक्षयतृतीया का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। इसे आखा-तीज भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया दान-पुण्य, तथा पूजा-पाठ अक्षुण फलदाई होता है। यहां तक कि इस दिन किए गए बुरे कर्मों का दुष्परिणाम भी जीवनपर्यंत प्राणियों को भुगतना पड़ता है। अतः हमारा प्रयास होना चाहिये कि इस दिन अच्छे कर्म करें , नैतिक मूल्यों का पालन करें, निर्धन लोगों की सहायता करें तथा ईश्वर की आराधना व ध्यान में अपना समय बिताएं।
अक्षय तृतीया 2020
इस वर्ष 2020 में अक्षय-तृतीया 26-4-2020 को दिन में 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग की अक्षय तृतीया सर्वोत्तम मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से धन संपदा में अक्षय वृद्धि होती है। अक्षय तृतीया के दिन हरीहर अर्थात् भगवान विष्णु एवं शिव की संयुक्त पूजा करना भी शुभ फलदायी होता है।
अक्षय तृतीया 2020 पूजा मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन प्रात:काल 06 बजकर 36 मिनट से दिन में 10 बजकर 42 मिनट के मध्य भगवान विष्णु के पूजन का उत्तम मुहूर्त है।
अक्षय तृतीया पूजा विधि एवं मंत्र
- सर्वप्रथम प्रातःकाल गंगा-स्नान (अथवा पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर) करके भगवान विष्णु देव का चन्दन युक्त जल से स्नान कराएं।
- उसके बाद भगवान् विष्णु को इत्र का लेपन कर चन्दन लगाएं। तत्पश्चात “शुक्लाम्बर धरम देवम शशिवर्णम चतुर्भुजम, प्रसन्नवदनम ध्यायेत सर्व विघ्नोपशांतये।।” इस मंत्रोच्चारण के साथ तुलसी दल चढाएं। यदि संभव हो तो बेला का फूल चढ़ाते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करें- “माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मया ह्रितानि पुष्पाणि पूजार्थम प्रतिगृह्यताम।।”
- पूजन के पश्चात भगवान् विष्णु को गुड़, चने के सत्तू और मिश्री का भोग लगाएं। दूध, दही, शुद्ध घी, शहद एवं चीनी से युक्त पंचामृत का स्नान कराएं। इस दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें- “पंचामृतम मयानीतम पयो दधि घृतम मधु शर्करा च समायुक्तम स्नानार्थम प्रति गृह्यताम।।”
इस प्रकार अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु का पूजन करने से घर में धन-धान्य की अक्षय वृद्धि होती है।
अक्षय तृतीया की कथा
अक्षय तृतीया की पौराणिक मान्यता है कि महाभारत-काल में जब पाण्डवों को 13 वर्ष का वनवास हो गया तो एक बार ऋषि दुर्वासा पाण्डवों की कुटिया में पधारे। उनका यथोचित सत्कार द्रौपदी ने किया, जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने उन्हें अक्षय-पात्र प्रदान किया और कहा कि आज अक्षय तृतीया है, अतः आज के दिन पृथ्वी पर जो भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर चने का सत्तू, गुड़, ऋतुफल, वस्त्र, जलयुक्त घड़ा तथा दक्षिणा के साथ श्री हरी विष्णु के निमित्त दान करेगा, उसका भण्डार सदैव भरा रहेगा। तभी से अक्षय तृतीया पर पूजन की परम्परा है।