Adi Shakti Peeth Hinglaj Mata Temple History in Hindi : आदि शक्तिपीठों में हिंगलाज देवी का पीठ धार्मिक आस्थाओं सबसे बड़ा पीठ कहा जा सकता है । जिसका बखान हिंगलाज पुराण के साथ-साथ वामन पुराण, स्कंदपुराण । यह स्थान कराची से 217 कि.मी. की दूरी पर स्थित है ।
महाशक्ति पीठ की स्थापना के सम्बन्ध में तंत्र चूड़ामणि से ज्ञात होता है की राजा दक्ष की कन्या सती जिनके पति भगवान शिव थे राजा दक्ष का भगवान शिव से भ्रमवंश मनमुटाव हो गया इस पर दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन रख उसमे समस्त देवताओं और अपने सम्बन्धियों को इस अवसर पर निमंत्रण दिया । यज्ञ में रूद्र का कलश स्थापित नहीं किया गया । जब इस यज्ञ की सूचना सती को मिली तो उसने शिव को यज्ञ में सम्मिलित होने का आग्रह किया किन्तु शिव इससे इंकार कर गए । लेकिन सती अपने माता पिता के घर चली आई उससे जब किसी ने सम्मानपूर्वक बातचीत नहीं की तो उसके स्वाभिमान को गहरी ठेस पहुँची उसने तत्काल ही यज्ञकुण्ड में अपने को समर्पित कर दिया । जब इसकी सूचना भगवान शिव को मिली तो उन्होंने क्रोधित होकर वीरभद्र एवं अपने गणों को यज्ञ भंग करने की आज्ञा दे डाली, शिव गणों ने यज्ञ भंग कर राजा दक्ष का सिर काट कर यज्ञकुण्ड में दाल दिया । अनन्तर भोलेनाथ सती शव अपने कन्धे पर डालकर इधर उधर भ्रमण करने ललगे तब भगवान विष्णु चक्र द्वारा सती के शरीर के 52 टुकड़े कर दिए जहाँ से अंग अलग अलग दिशाओं स्पर्श हुए वहां अलग अलग शक्तिपीठों स्थापना हुई । भगवती सती का ब्रंहरंध्र हिंगलाज आकर गिरा था । भगवती की मांग हिंगलू (कुमकुम) से शुशोभित थी इसलिए हिंगुलाज कहलाता है ।
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कश्मीर सती का गला से वह वरहादेवी, हिमालय में जीभ ज्वालामुखी, कलकत्ता में अंगुली गिरने से कालिका, कन्याकुमारी में पीठ गिरने से भद्रकाली के नाम से पूजित हुई इस प्रकार जहा जहा भगवती के अंग गिरे वहां 52 स्थानों पर अलग अलग नामों से वह पूजी जाती है । तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ का उल्लेख हुआ है जिन्हें महापीठ कहते हैं । कल्याण के तीर्थांक में 51 शक्तिपीठों और देवी भागवत में अष्टोत्तर शत (108) दिव्य शक्ति धाम का विवरण मिलता है ।
श्री करणी कथामृत से ज्ञात होता है कि आद्य शक्ति हिंगलाज के मुख्य एकादश धाम है । कांगड़ा ज्वालामुखी, असम कामख्या, मुदरा की मीनाक्षी, दक्षिण में कन्याकुमारी, गुजरात में अम्बाजी, मालवा की कालिका, वाराणसी की विशालाक्षी, गया की मंगलादेवी, बंगाल सुन्दरी और नेपाल की गुहयेश्वरी । हिंगुलालय सहित इन 11 रूपों में भगवती हिंगलाज पूजा ग्रहण करती है । शक्तिपीठ के बावन स्थानों में बावन भैरव भी निवास करते है । हिंगुलालय का भैरव भीमलोचन है ।
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शास्त्रों में माँ का अंग, आधार, वास, वर्ण, पहनावा आदि हिंगुल रंग के बताये गए है ।
हिंगलाज देवी के मन्दिर का दर्शन करने मात्र से ही कष्टों का निवारण क्षण भर में दूर हो जाता है । लेकिन यह तभी संभव है जब आपने देवी के मन रुपी मन्दिर को अपने ह्रदय में समाहित कर लिया हो ।
शक्तिपीठ हिंगलाज के मन्दिर में माँ हिंगलाज की प्रतिमा एक गुफानुमा स्थान पर स्थित है । गुफा के अन्तिम भाग में माता का सिन्दुर वेष्टित पाषाण पाट लालवस्त्र से आच्छादित है । प्राकृतिक रूप से शयनमुद्रा का आकार लिए माँ के शीश और नेत्र के दर्शन होते है । माँ के इस दरबार में लाल चुनड़िया देवी के शरीर को ढके है । सोने एवं चाँदी के छत्र उनकी महिमा का यशगान कर रहे है । देवी के निमित्त लाल चूनड़ी,चूड़ियाँ, काजल, छत्र, इत्र आदि श्रृंगारिक वस्तु अर्पित की जाती है । गुफा के बाहर शक्ति का प्रतीक त्रिशूल लगा है । पूजित पाषाण पाट के नीचे गर्भ गुफा है । जिसमे स्नान करके कटिवस्त्र धारण कर यात्रीयुगल वामभाग से गुफा में घुटनों के बल प्रवेश करते है और दक्षिण भाग से बाहर निकलते है । इसे माई स्पर्श करना कहते है ।
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चांगला खांप के मुसलमान हिंगलाज देवी की पूजा
ज्ञातव्य है कि हिंगलाज देवी की पूजा अर्चना चांगला खांप के मुसलमान करते है । जो चारणों से मुसलमान बने थे । वे अपने को चारण मुसलमान ही कहते हैं । हिंगलाज देवी की पूजा चांगला खांप की ब्रह्मचारिणी कन्या द्वारा होती है । इसलिए वह चांगली माई कहलाती है । चांगली माई साक्षात शक्ति स्वरूपा ही मानी जाती है । चांगली माई अपना हाथ नई कन्या के सिर पर रख कर नई चांगली माई तय करती है और उसे माँ की ज्योति जलाने का आशीर्वाद देती है ।
भारत में हिंगलाज के कई मन्दिर स्थित है । कुछ मन्दिरों का नामोल्लेख इस प्रकार है –
- बाड़मेर जिले के सिवाना तहसील में छप्पन की पहाड़ियों में कोयलिया गुफा हिंगलाजमाता का प्रसिद्ध मन्दिर स्थित है ,यहाँ के पुजारी पुरी सन्यासी है ।
- सीकर जिले में फतेहपुर के दक्षिण में राष्ट्रिय राजमार्ग के निकट एक ऊँचे टीले पर महात्मा बुद्ध गिरी की मढ़ी है । कुछ सीढ़ियां चढ़कर ऊंचाई पर विशाल द्वार है जहाँ अग्रभाग में हिंगलाज माता का मन्दिर है यहाँ प्रज्वलित अखण्ड ज्योति श्रद्धालुओं की आस्था को बढाती है । गिरी सन्यासी माता के पुजारी है ।
- चुरू स्थित बीदासर ग्राम में नाथों के अखाड़े में देवी का पुराना मन्दिर स्थित है ।
- अजमेर जिले अराई से पूर्व में पहाड़ी पर माता का मन्दिर स्थित है ।
- जैसलमेर स्तिथ लोद्रवा ग्राम में हिंगलाज माता का प्राचीन मन्दिर स्थित है जो अब अब भूमिगत हो गया है।अब सीढ़ियाँ उतर कर नीचे जाना पड़ता है ।
- जैसलमेर नगर के घड़सीसर जलाशय के मध्य एक गोल टापू पर हिंगलाज की साळ है । जैसलमेर के पुष्करणा समाज में माता का बड़ा इष्ट है ॥
- हरियाणा की सीमा पर बलेशवर के पर्वत पर माँ का प्राचीन मन्दिर स्थित है महराष्ट्र में गढ़ हिंगलाज एक तीर्थ स्थल है ।
भारत के अलावा इस आदि शक्ति को स्त्री धर्मों के लोग पूजते हैं । मुसलमान इसे नानी मन्दिर के रूप में वही सीरिया, पर्शिया, अरमानीया में क्रमशः अनोटि अनेया, अनेटिस, टाईनस नामों से उपासना करते है ।
My surname is pidiwal our kuldevi hinglajmata
But I have no original address of hinglajmata temple so please send address of the hinglajmata temple.
Hinglaj mata mandir,
Bhagli gao,near To Falna Railway Station
Pali Dist.
BHAVSAR SAMAJ
हिंगलाज माता जी का भव्य मंदिर चुरू जिले के लोसना ग्राम में भी है , जो हरियाणा जिले के सिमा से सटा है , बछराज नखत
Maloo cast ke kul Devi Kon hai
सादर प्रणाम, मै वी. सेठी मेरे पीताश्री पाकिस्तान से थे। हम खत्री समाज के है। हमारे कुलदेवता/कुलदेवी के बारे में हमें कुछ भी जानकारी नहीं है। अभी घर के कोई बूढ़े बूजरूग भी जीवीत नहीं है जो हमें बताते । क्या आप ईस विषय में हमारी कोई मदद कर सकते।
सेठी
Kuldevi aur kuldevta ke bare mein Puri detail dijiye
Dodecha Bohra ke mataji kaun hai,please reply if anyone knows