‘माँ’ ममता का आधार – कुलदेवी

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आज का समाज-फिर आधुनिकता की छाप और उस पर नास्तिकता का दौर-ईश्वरीय स्वरूप की अवहेलना कोई नई बात नहीं। समाज में, वर्ण में सर्वप्रथम ब्राह्मण और ईश्वर का मुख माने जाने वाला यह वर्ण भी जब अपने कुलदेवता, कुलदेवी और कुल गणपति को नहीं जाने न ही पहचाने तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति … Read more ‘माँ’ ममता का आधार – कुलदेवी

कुलदेवी का महत्त्व – प्रभात मुकुल भार्गव

              डॉ. मनहर गोपाल भार्गव, मिर्जापुर का लेख “भार्गव गोत्र व कुलदेवी” मैंने कुछ समय पूर्व पढ़ा था। उसी से ज्ञात हुआ कि भार्गवों की कुल छः गोत्र होते हैं। परन्तु कुलदेवी अनेक हैं। मेरे मन में यह जिज्ञासा तब और भी अधिक जाग्रत हुई जब यह ज्ञात हुआ कि मेरे वंश … Read more कुलदेवी का महत्त्व – प्रभात मुकुल भार्गव

बंधर माता मन्दिर, तानागांव-चित्तौड़गढ़ Bandhar Mata Temple Tana Village

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Bandhar Mata Temple Tana Village : बंधर माता का मन्दिर राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले के तानागांव में एक पहाड़ी पर अवस्थित है। मन्दिर में बंधर माता की प्रतिमा के साथ ही उनकी बहन तथा भैरूजी की प्रतिमा भी प्रतिष्ठापित है। नवरात्र में नवमी के दिन यहाँ विशाल मेले का आयोजन होता है। दूर-दूर से श्रद्धालु उपासक … Read more बंधर माता मन्दिर, तानागांव-चित्तौड़गढ़ Bandhar Mata Temple Tana Village

भैसादश्री माता मन्दिर नीमच Bhaisad Shri Mata Temple Neemuch

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Bhaisad Shri Mata Temple Neemuch : भैसाद श्री माता मन्दिर नीमच सिटी के मीणा मोहल्ले में नदी के किनारे पर है। यह मन्दिर लगभग 600 वर्ष पुराना है। यह देवी माहेश्वरी समाज में आगीवाल खांप की कुलदेवी है। यदि आप भी भैसाद माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया Comment Box में … Read more भैसादश्री माता मन्दिर नीमच Bhaisad Shri Mata Temple Neemuch

नौसर माता का मन्दिर, पुष्कर घाटी अजमेर

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Nausar Mata Temple Pushkar Valley Ajmer : नौसर माता का मन्दिर राजस्थान के अजमेर जिले की पुष्कर घाटी में स्थित है। यह मन्दिर लगभग 1300 वर्ष पुराना है। माता के श्रद्धालु दूर-दूर से यहाँ माथा टेकने और मनौती मांगने आते हैं। वैसे तो यहाँ प्रतिदिन ही उपासकों का ताँता लगा रहता है, परन्तु नवरात्रों में यहाँ … Read more नौसर माता का मन्दिर, पुष्कर घाटी अजमेर

श्री कुलदेवी पूजन विधि – ध्यानम्, आवाहनम्, षोडश उपचार

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Kuldevi Pujan Vidhi : इस लेख में आपको बताया जा रहा है कि कुलदेवी माँ का पूजन किस प्रकार किया जाना चाहिये। अपनी कुलदेवी मंगल के पाठ से पहले भी षोडश उपचार से कुलदेवी पूजन करना चाहिये। पूजन के लिए पूर्वाभिमुख होकर आचमन, पवित्रीकरण, मार्जन, प्राणायाम कर संकल्प करें। स्वस्तिवाचन आदि के बाद कुलदेवी की … Read more श्री कुलदेवी पूजन विधि – ध्यानम्, आवाहनम्, षोडश उपचार

राजस्थान के 10 प्रसिद्ध देवी मन्दिर, जो कुलदेवियों के रूप में पूजित हैं

10 Famous Devi Temples of Rajasthan in Hindi : आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारत में देवीपूजा की बहुत मान्यता है। देवी जो शक्ति के रूप में संसार को चलाती है। भारतवर्ष के कोने-कोने में देवियों के मन्दिर स्थापित हैं।  यहाँ राजस्थान के कुछ प्रसिद्ध देवी मंदिरों के बारे में बताया जा रहा है ; ये देवियाँ … Read more राजस्थान के 10 प्रसिद्ध देवी मन्दिर, जो कुलदेवियों के रूप में पूजित हैं

श्री सालासर बालाजी कथा, महिमा व मन्दिर का इतिहास

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Salasar Balaji Temple Rajasthan History and Katha in Hindi : राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के सालासर नामक स्थान पर लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र हनुमानजी का प्रसिद्ध मन्दिर है। गांव के नाम पर इन्हें सालासर बालाजी कहा जाता है। इस मन्दिर की स्थापना रूल्याणी ग्राम के संत श्री मोहनदासजी ने की थी। … Read more श्री सालासर बालाजी कथा, महिमा व मन्दिर का इतिहास

साण्डन / स्यानण की कालिका माता का प्राचीन मन्दिर, सुजानगढ़ चूरू

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राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में रतनगढ़-सालासर मार्ग पर सांडण / स्यानण की डूंगरी स्थित है। इस पहाड़ी पर तीन भागों में विभक्त प्राचीन मन्दिर स्थित है। सांडण / स्यानण की काली माता का मन्दिर दसवीं शताब्दी में हर्षनाथ का समकालीन बताया जाता है। दो मन्दिर पहाड़ी पर आमने-सामने पूर्व व पश्चिम की … Read more साण्डन / स्यानण की कालिका माता का प्राचीन मन्दिर, सुजानगढ़ चूरू

मालासी के रिक्त्या भैरव मन्दिर का इतिहास व कथा

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Riktya Bhairu Temple Malasi History in Hindi : मालासी भैरव (रिक्त्या भैरव ) का मन्दिर राजस्थान में चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के मालासी गांव में स्थित है। रिक्त्या भैरु को स्थान के नाम से मालासी भैरु भी कहा जाता है जो लोक में अधिक प्रसिद्ध है। रिक्त्या भैरु की राजस्थान के चूरू, बीकानेर, झुंझुनू, … Read more मालासी के रिक्त्या भैरव मन्दिर का इतिहास व कथा

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