Chaitra Navratri 2024 : Puja Vidhi | Dates | Puja Muhurt| चैत्र नवरात्रि का महत्त्व व इतिहास

Navratri 2024 puja vidhi, muhurt, dates : उदयातिथि के अनुसार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होगी और इसका समापन राम नवमी (Ram Navami 2024) के दिन होगा। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत खरमास में होने वाली है। खरमास की शुरुआत 14 मार्च से हो चुकी है, जो 13 … Read more Chaitra Navratri 2024 : Puja Vidhi | Dates | Puja Muhurt| चैत्र नवरात्रि का महत्त्व व इतिहास

Ashwin Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि | मुहूर्त्त, पूजा विधि व महत्त्व

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Shardiya Navratri 2024: आश्विन माह मनाया जाने वाला शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में शक्तिरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होती है, इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है। इन नौ दिनों में व्रत रखने का विधान … Read more Ashwin Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि | मुहूर्त्त, पूजा विधि व महत्त्व

Sheetla Ashtami Puja Vidhi 2024 : शीतला माता पूजा विधि, कथा, आरती व चालीसा

sheetla saptami,ashtami 2024 :भारतवर्ष में शीतला सप्तमी,अष्टमी प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। शीतला अष्टमी को बासोड़ा (Basoda festival) के … Read more Sheetla Ashtami Puja Vidhi 2024 : शीतला माता पूजा विधि, कथा, आरती व चालीसा

सरयूपारीण ब्राह्मण समाज का परिचय, इतिहास, गौत्र व कुलदेवी | Saryupari Brahmin Samaj

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सरयूपारीण ब्राह्मणों की उत्पत्ति Saryuparin Brahmin Samaj in Hindi: सरयूपारी ब्राह्मण एक हिंदू ब्राह्मण समुदाय है जो मुख्य रूप से भारत के उत्तरी भाग में रहते हैं, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में। “सरयूपारी” शब्द संस्कृत शब्द “सरयू” से लिया गया है, जो उस नदी को संदर्भित करता है जिसके … Read more सरयूपारीण ब्राह्मण समाज का परिचय, इतिहास, गौत्र व कुलदेवी | Saryupari Brahmin Samaj

51 Shakti Peeth : 51 शक्तिपीठ

51 Shakti Peeth Names and Locations in Hindi : प्रजापति दक्ष ने शिवजी से अपमानित हो बृहस्पति नामक एक यज्ञ का आरम्भ किया । दक्ष ने उस यज्ञ में शिवजी और अपनी कन्या व शिवजी की पत्नी देवी  सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया । पिता के घर में महायज्ञसमारोह हो रहा है, यह सुनकर सती … Read more 51 Shakti Peeth : 51 शक्तिपीठ

जाट समाज के गोत्रों की लिस्ट Jat Samaj History and All Gotras List

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Jat Samaj in Hindi: जाट समाज मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में पाए जाने वाले लोगों का एक समुदाय है, जिसमें हरियाणा,  पंजाब,  दिल्ली,  राजस्थान,  मध्य प्रदेश,  उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब राज्यों के साथ सिंध के पाकिस्तानी प्रांत शामिल हैं। जाट ‘क्षत्रिय’ वर्ण से संबंधित है। ऐतिहासिक रूप से, जाट एक कृषक समुदाय थे,लेकिन आज … Read more जाट समाज के गोत्रों की लिस्ट Jat Samaj History and All Gotras List

मैथिल ब्राह्मण: इतिहास, संस्कृति, परंपरा और गोत्र – कुलदेवी

मैथिल ब्राह्मण एक समृद्ध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के साथ दक्षिण भारत में एक प्रमुख ब्राह्मण समुदाय हैं। वे मुख्य रूप से तमिलनाडु और केरल राज्यों में पाए जाते हैं, और विशेष रूप से साहित्य, कला और संगीत के क्षेत्र में भारतीय समाज में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। इतिहास: माना जाता है … Read more मैथिल ब्राह्मण: इतिहास, संस्कृति, परंपरा और गोत्र – कुलदेवी

कान्यकुब्ज ब्राह्मण: इतिहास, संस्कृति, परंपरा और गोत्र – कुलदेवी

कान्यकुब्ज ब्राह्मण एक ब्राह्मण समुदाय है जो मुख्य रूप से भारत के उत्तरी भागों में पाया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश राज्य में। वे भारत के पाँच प्रमुख ब्राह्मण समूहों में से एक हैं और अपनी बुद्धिमत्ता, विद्वता और धार्मिक परंपराओं के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं। इस लेख में हम कान्यकुब्ज ब्राह्मणों … Read more कान्यकुब्ज ब्राह्मण: इतिहास, संस्कृति, परंपरा और गोत्र – कुलदेवी

महर्षि गर्ग जयंती विशेष : महर्षि गर्गाचार्य जी का परिचय, ध्यान, 108 नामावली, पूजा, आरती

     विनोद शर्मा  कृष्णगौड़ ब्राह्मण सेवा समिति, जयपुर  द्वारा प्रेषित आलेख  महर्षि गर्गाचार्य जी का परिचय महर्षि गर्ग अंगिरस गौत्र में उत्पन्न एक परमश्रेष्ठ मंत्र दृष्टा ऋषि है। ऋग्वेद के 6/47 सूक्त के मंत्र रचियता महर्षि गर्गाचार्य जी है। वे महान शिव भक्त रहे है, भगवान शिव ने स्वयं इन्हें अपना परम शिष्य बताया है। … Read more महर्षि गर्ग जयंती विशेष : महर्षि गर्गाचार्य जी का परिचय, ध्यान, 108 नामावली, पूजा, आरती

गर्गवंशी कृष्ण गौड़ ब्राह्मणों की आराध्य देवी विंध्याचल वासिनी की कथा | Vindhyachal Vasini Devi Katha

     विनोद शर्मा  कृष्णगौड़ ब्राह्मण सेवा समिति, जयपुर  द्वारा प्रेषित आलेख  माँ विंध्यवासिनी  भगवती अम्बिका नित्य स्वरूपिणी है। सत, चित और आनंदमय उनका श्री विग्रह है। वे सर्वोपरी है। यह चराचर जगत उनके ओतप्रेत है। उन्ही की आराधना के प्रभाव से ब्रह्माजी इस चराचर जगत की रचना करते है। भगवान विष्णु इस जगत का सरंक्षण … Read more गर्गवंशी कृष्ण गौड़ ब्राह्मणों की आराध्य देवी विंध्याचल वासिनी की कथा | Vindhyachal Vasini Devi Katha

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