ये है चौथ माता का सबसे बड़ा मंदिर : चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर

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Chauth Mata Temple Chauth Ka Barwara Sawai Madhopur : चौथमाता का मन्दिर बरवाड़ा गाँव में एक विशाल और ऊँची पहाड़ी पर स्थित है । जयपुर सवाईमाधोपुर रेलमार्ग पर चौथ का बरवाड़ा एक रेलवे स्टेशन है जिसका नामकरण चौथमाता के मन्दिर के आधार पर हुआ । देवी मन्दिर तक पहुँचने के लिए लगभग 600 सीढियाँ बनी हैं … Read more ये है चौथ माता का सबसे बड़ा मंदिर : चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर

हिंगलाजमाता की अद्भुत कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

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‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ हिंगुलालय की हिंगलाजमाता इतिहास भारतीय संस्कृति में 53 शक्तिपीठों की मान्यता है। उनमें हिङ्गुलालय का सर्वप्रथम स्थान है। शक्तिपीठों की मान्यता भगवती सती की कथा पर आधारित है। उन्होंने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भगवान् शिव के लिए यज्ञभाग अर्पित न होने से रुष्ट होकर प्राण त्याग दिये थे। भगवान् शिव दक्ष … Read more हिंगलाजमाता की अद्भुत कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

सुन्धामाता की अद्भुत कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ सुन्धापर्वत की सुन्धामाता इतिहास राजस्थान के जालौर जिले की भीनमाल तहसील में जसवन्तपुरा से 12 कि.मी. दूर, दांतलावास गाँव के पास सुन्धानामक पहाड़ है। इसे संस्कृतसाहित्य में सौगन्धिक पर्वत, सुगन्धाद्रि, सुगन्धगिरि आदि नामों से कहा गया है। सुन्धापर्वत के शिखर पर स्थित चामुण्डामाता को पर्वतशिखर के नाम से सुन्धामाता ही कहा जाता है। ऐतिहासिक तथ्यों के … Read more सुन्धामाता की अद्भुत कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

सच्चियाय माता की श्लोकमय कथा, इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

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‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ ओसियां की सच्चियाय माता इतिहास सच्चियाय माता संचाय, सच्चिका, सचवाय, सूच्याय, सचिया आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध है। इनका शक्तिपीठ जोधपुर से लगभग 60 कि.मी. दूर ओसियाँ में स्थित है। ओसियाँ पुरातात्त्विक महत्त्व का एक प्राचीन नगर है। जैन साहित्य में ओसियाँ नगर का उपकेश, ऊकेश, ओएश आदि नामों से उल्लेख मिलता है। ओसियाँ … Read more सच्चियाय माता की श्लोकमय कथा, इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

दधिमथी माता का इतिहास व कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य

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‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ गोठ-मांगलोद की दधिमथी माता इतिहास दधिमथी माता का आदि शक्तिपीठ राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में है। यह नागौर से लगभग 40 कि.मी. दूर तथा जायल से 10 कि.मी. दूर गोठ और मांगलोद गाँवों के बीच स्थित है। मन्दिर सड़कमार्ग से जुड़ा है। इतिहासकार गौरीशंकर हीराचन्द ओझा के अनुसार इस मन्दिर के … Read more दधिमथी माता का इतिहास व कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य

जीणमाता की श्लोकमय कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

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‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ जीणमाता इतिहास जीणमाता का शक्तिपीठ राजस्थान के सीकर शहर से दक्षिण-पूर्व कोण में गोरियाँ रेलवे स्टेशन व बस-स्टैण्ड से 16 कि.मी. दूर एक ओरण पर्वत में स्थित है। शक्तिपीठ उत्तर, पश्चिम और दक्षिण तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। इसका मुख्य प्रवेशद्वार पूर्व दिशा में है। निज मन्दिर पश्चिमाभिमुख है। इतिहासकारों … Read more जीणमाता की श्लोकमय कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

करणीमाता की श्लोकमय कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

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‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ देशनोक की करणीमाता  करणीमाता का मन्दिर राजस्थान के बीकानेर शहर से लगभग 33 कि.मी. दूर देशनोक में स्थित है। बीकानेर-जोधपुर रेलमार्ग पर यह छोटा रेलवे स्टेशन है। देश-विदेश के असंख्य श्रद्धालु करणीमाता के दर्शन कर मनोवाञ्छित फल पाने के लिए देशनोक आते हैं। करणीमाता बीकानेर के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी के रूप में पूजित … Read more करणीमाता की श्लोकमय कथा व इतिहास – कुलदेवीकथामाहात्म्य

आशापूरा माता की श्लोकमय कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य

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‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’ नाडोल की आशापूरा माता  राजस्थान के पाली जिले में नाडोल कस्बे के पास आशापूरा माता का मन्दिर है। इस मन्दिर की स्थापना नाडोल में चौहानराज्य के संस्थापक लक्ष्मण (लाखनसी) चौहान ने कराई थी। नैणसी की ख्यात के अनुसार लाखनसी चौहान (लक्ष्मण) को नाडोल का राज्य आशापूरा माता की कृपा से ही मिला था। कर्नल … Read more आशापूरा माता की श्लोकमय कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य

आरासुरी अम्बाजी की श्लोकमय कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य

 ‘कुलदेवीकथामाहात्म्य’  आरासुरी अम्बामाता   इतिहास दिल्ली – अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित आबूरोड़ स्टेशन से 21 किलोमीटर दूर आरासुर पर्वत पर अम्बामाता का लोकविख्यात शक्तिपीठ है। अम्बामाता अम्बिकामाता भी कहलाती है। आरासुर पर्वत पर विराजमान होने के कारण ही इन्हें आरासुरी अम्बाजी कहा जाता है। आरासुर पर्वत के सफेद होने के कारण इन्हें ‘धोलागढ़ वाली माता’ … Read more आरासुरी अम्बाजी की श्लोकमय कथा – कुलदेवीकथामाहात्म्य

कुलदेवियों के नामकरण के आधार व नामों में विविधता का कारण

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Kuldevi Naming Basis and Differences in Names in Hindi : पिछले लेख में कुलदेवी और कुलदेवता से सम्बंधित भ्रम का निवारण किया गया था जिसका विषय “कुलदेवी का स्वरुप : क्या कुलदेवी और कुलदेवता अलग-अलग हैं ?” था। प्रस्तुत लेख में हम कुलदेवियों के नामकरण के विभिन्न आधारों के बारे में जानेंगे कि अधिकांश कुलदेवियों … Read more कुलदेवियों के नामकरण के आधार व नामों में विविधता का कारण

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