लकवे जैसी बीमारियां ठीक कर देने वाली- वटयक्षिणी देवी (झांतलामाता) “Jhantla Mata / Vatayakshini Mata”

चित्तौड़गढ़ से लगभग 13 कि.मी. दूर कपासन जाने वाले मार्ग पर वटयक्षिणी देवी का मन्दिर है जो लोक में झांतलामाता के नाम से प्रसिद्ध है । जनश्रुति है कि सैकड़ों वर्षों पूर्व यहाँ एक विशाल वट वृक्ष था जिसके नीचे देवी की प्रतिमा थी । कालान्तर में इस स्थान पर विक्रम संवत् 1217 के लगभग एक विशाल … Read more लकवे जैसी बीमारियां ठीक कर देने वाली- वटयक्षिणी देवी (झांतलामाता) “Jhantla Mata / Vatayakshini Mata”

1857 में अंग्रेजों को भयभीत कर देने वाली- आऊवा की सुगालीमाता “Sugali Mata-Auwa”

सुगालीमाता  की एक दुर्लभ मूर्ति मारवाड़ के आऊवा ठिकाने के किले में प्रतिष्ठापित थी । आऊवा की कुलदेवी और आराध्या इस देवी की समूचे मारवाड़ में बहुत मान्यता रही है। काले पत्थर से निर्मित यह देवी प्रतिमा सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणास्त्रोत रही है। कहा जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी … Read more 1857 में अंग्रेजों को भयभीत कर देने वाली- आऊवा की सुगालीमाता “Sugali Mata-Auwa”

दुर्गा माता का सौम्य स्वरूप-ऊनवास की पिप्पलादमाता “Pippalad Mata-Unwas”

उदयपुर से लगभग 48 कि. मी. दूर हल्दीघाटी के पास ऊनवास गाँव में दुर्गामाता का एक प्राचीन मन्दिर है जो लोकमानस में पिप्पलादमाता (Piplad Mata) के नाम से प्रसिद्ध है । इस मन्दिर से प्राप्त विक्रम संवत 1016 (960 ई.) के एक शिलालेख से मन्दिर की प्राचीनता और उसके पिप्पलादमाता नामकरण का पता चलता है … Read more दुर्गा माता का सौम्य स्वरूप-ऊनवास की पिप्पलादमाता “Pippalad Mata-Unwas”

धनोप के वैभव की साक्षी – धनोपमाता “Dhanop Mata- Bhilwara”

भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा से लगभग 30 की. मी. उत्तर-पूर्व में स्थित धनोप ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व का प्राचीन स्थान है। यहाँ से विभिन्न अवसरों पर खुदाई के समय सजीव और कलात्मक मूर्तियाँ,मिट्टी के बर्तन,पक्की ईंटे,पत्थर के उपकरण, सिक्के, अलंकृत जालियाँ, झरोखे आदि का मिलना यह संकेतित करता है कि अतीत्त में यह एक समृद्धशाली … Read more धनोप के वैभव की साक्षी – धनोपमाता “Dhanop Mata- Bhilwara”

चित्तौड़गढ़ दुर्ग की कालिकामाता “Kalika Mata- Chittorgarh”

चित्तौड़गढ़ दुर्ग में रानी पद्मिनी के महलों के उत्तर में बायीं ओर कालिकामाता का भव्य और विशाल मन्दिर है जिसके स्तम्भों, छत और निजमंदिर के प्रवेशद्वार पर  अलंकरण का सुन्दर काम हुआ है । इस मन्दिर के स्थापत्य को देखते हुए इसका  निर्माण काल 8वीं., 9वीं. शताब्दी ई. संभावित लगता है । इतिहासकारों की मान्यता है कि … Read more चित्तौड़गढ़ दुर्ग की कालिकामाता “Kalika Mata- Chittorgarh”

छोटी सादड़ी की भ्रमरमाता / भँवरमाता “Bhanwar Mata-Chhoti Sadri”

Bhanwar Mata / Bhramar Mata Chhoti Sadari Temple History in Hindi : छोटी सादड़ी चित्तौड़गढ़ से लगभग 56 कि . मी. दक्षिण में निम्बाहेड़ा-प्रतापगढ़ मार्ग पर स्थित है  । यह अजमेर-खण्डवा रेलमार्ग पर मध्यप्रदेश के नीमच रेलवे स्टेशन के पास है । इस कस्बे से लगभग 3 की. मी. दूर पर्वतमालाओं  के मध्य भँवरमाता या … Read more छोटी सादड़ी की भ्रमरमाता / भँवरमाता “Bhanwar Mata-Chhoti Sadri”

मून्दल माता / मूंधड़ों की माता /ब्राह्मणी माताः मून्दियाड़ “Mundal Mata- Mundiyad”

Mundal Mata Mundiyad Nagaur Temple History in Hindi : नागौर से २५ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित मून्दियाड़ गांव है। इस गांव को महेश्वरियों ने बसाया था। इस गांव में प्राचीन ब्राह्मणी माता का मन्दिर है। इन्हे मून्दड़ों की माता भी कहते हैं। लाल पत्थरों से निर्मित यह मन्दिर शिल्पकला का अनुपम उदाहरण है। मन्दिर के समीप ही लाल … Read more मून्दल माता / मूंधड़ों की माता /ब्राह्मणी माताः मून्दियाड़ “Mundal Mata- Mundiyad”

वसन्तगढ़ की क्षेमकरीमाता / खीमेलमाता “Khimel Mata- Basantgarh”

Kshemkari Khimel Mata Basantgarh Sirohi Temple  History in Hindi : आबू के पास वसन्तगढ़ एक प्राचीन स्थान है। इसका अपना विशेष ऐतिहासिक महत्व रहा है । सिरोही और मेवाड़ की सीमा पर स्थित यह कस्बा पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है तथा इसके सामरिक महत्व को जानकर राणा कुम्भा ने यहाँ एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण कराया, जो सम्भवतः … Read more वसन्तगढ़ की क्षेमकरीमाता / खीमेलमाता “Khimel Mata- Basantgarh”

हवा में अधर आबू की अर्बुदादेवी / अधर माता “Arbuda Mata / Adhar Mata”

Arbuda Devi Adhar Mata Temple Story in Hindi : अर्बुदादेवी का प्रसिद्ध मन्दिर राजस्थान के सिरोही जिले में आबू पर्वत में स्थित है । प्राचीन शिलालेखों और साहित्यिक ग्रन्थों में आबू पर्वत को अर्बुदगिरी अथवा अर्बुदांचल कहा गया हैं । अर्बुदादेवी आबू की अधिष्ठात्री देवी हैं । आबू पर्वत शाक्त धर्मका प्रमुख केन्द्र और अर्बुदेश्वरी … Read more हवा में अधर आबू की अर्बुदादेवी / अधर माता “Arbuda Mata / Adhar Mata”

शिव पत्नी सती का मस्तक “बांसवाड़ा की त्रिपुरा सुंदरी ” Tripura Sundari Banswara

Tripura Sundari Mata Banswara Temple History in Hindi : माँ  त्रिपुरा सुन्दरी का प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठ राजस्थान के दक्षिणांचल में वागड प्रदेश (बाँसवाड़ा और डूंगरपुर का निकटवर्ती क्षेत्र) में अवस्थित है। देवी का यह सुविख्यात मन्दिर बाँसवाड़ा से लगभग 19 की.मी.की दूरी पर स्थित है तथा तलवाड़ा से यह लगभग 5 की.मी. दूर है । … Read more शिव पत्नी सती का मस्तक “बांसवाड़ा की त्रिपुरा सुंदरी ” Tripura Sundari Banswara

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